नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। बीए, बीकॉम और बीएससी जैसे स्नातक कार्यक्रमों की पाठ्यपुस्तकें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो सकती हैं। हिंदी के अलावा इन किताबों का तेलुगु, मलयालम, मराठी, गुजराती, असमिया, पंजाबी और कई अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक रोड मैप तैयार करने और विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लाने की दिशा में काम करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन किया है।
एक बड़ी पहल करते हुए यूजीसी ने 7 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक प्रकाशकों के साथ स्नातक की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों को भारतीय भाषाओं में लाने की संभावनाओं पर चर्चा की। यूजीसी ने कहा कि इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदार बनने की इच्छा जताई है।
यूजीसी के अध्यक्ष ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक प्रकाशकों के साथ स्वयं बातचीत की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक प्रकाशकों से पूछा कि क्या वे भारतीय भाषाओं में स्नातक अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकें ला सकते हैं। विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा-हिल इंडिया के प्रतिनिधियों ने बातचीत में भाग लिया।
यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने आईएएनएस को बताया, प्रकाशकों से चर्चा के दौरान देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगाली, असमिया, पंजाबी, हिंदी और उर्दू जैसी भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों के अनुवाद पर जोर दिया गया।
अध्यक्ष ने आगे बताया कि यूजीसी प्रकाशकों को पाठ्यपुस्तकों, अनुवाद उपकरणों और संपादन के लिए विशेषज्ञों की पहचान के संबंध में सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यूजीसी ने एक रोड मैप तैयार करने और बीए, बीकॉम, और बीएससी जैसे स्नातक कार्यक्रमों में उपयोग की जाने वाली भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लाने की दिशा में काम करने के लिए एक शीर्ष समिति का गठन किया है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि डिजिटल प्रारूप में सस्ती कीमतों पर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए प्रकाशकों के साथ एक मॉडल तैयार किया जाएगा।
यूजीसी चैयरमेन के मुताबिक प्रारंभिक ध्यान बीए, बीएससी और बीकॉम कार्यक्रमों में मौजूदा पाठ्यपुस्तकों के अनुवाद पर होगा, जिसे बाद में स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में भी इसे विस्तारित किया जाएगा। यह भी बताया गया कि यूजीसी भारतीय लेखकों और शिक्षाविदों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उन्हें प्रकाशित करने में प्रकाशकों को शामिल करेगा।
यूजीसी छह से बारह महीनों में कई पाठ्यपुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने का इरादा रखता है। प्रकाशकों के प्रतिनिधियों ने इस राष्ट्रीय मिशन में भागीदार बनने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बुधवार को यूजीसी ने विली इंडिया, स्प्रिंगर नेचर, टेलर एंड फ्रांसिस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, सेंगेज इंडिया और मैकग्रा-हिल इंडिया के प्रतिनिधियों से भारतीय भाषाओं में अंडरग्रेजुएट अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों को लाने पर चर्चा की।
–आईएएनएस
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