नई दिल्ली, 10 मार्च, (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस त्रिकंड अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अभ्यास कटलास एक्सप्रेस 2023 (आईएमएक्स, सीई-23) का हिस्सा बना है। भारत के अलावा जापान, ब्रिटेन और अमरीका आदि जैसे देश इस समुद्री अभ्यास में शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईएनएस त्रिकंड भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा है। यह मुंबई में मुख्यालय वाले पश्चिमी नौसेना कमान के तहत कार्य करता है। त्रिकंड आधुनिक सुविधाओं से लैस एक युद्धपोत है, जिसमें राडार से बच निकलने की क्षमता, तेज गति और दुर्जेय बनाने के लिए उन्नत तकनीकें समाहित हैं। इसे लंबी दूरी तक पहुंच बनाने और अत्याधुनिक कॉम्बैट सूट के साथ नौसेना के संचालन में व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करने के लिए डिजाइन किया गया है।
आईएनएस त्रिकंड ने कटलास एक्सप्रेस समुद्री अभ्यास के चरण-क में 9 मार्च तक भाग लिया। इस दौरान, आईएनएस त्रिकंड ने समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने, शिपिंग लेन को खुला रखने और नेविगेशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सामान्य उद्देश्य के साथ बहरीन, जापान, ओमान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और अमरीका की नौसेना इकाइयों के साथ समन्वित रूप से अभ्यास किया।
यह अंतर्राष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास खाड़ी क्षेत्र में 16 मार्च तक आयोजित किया जा रहा। इसको अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अभ्यास कटलैस एक्सप्रेस 2023 नाम दिया गया है। भारतीय नौसेना के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अभ्यास कटलैस एक्सप्रेस का उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और क्षेत्र में समुद्री लेन को समुद्री वाणिज्य के लिए सुरक्षित रखना है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अभ्यास कटलास एक्सप्रेस 2023 (आईएमएक्स) विश्व के सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यासों में से एक है। भारत के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह भारतीय नौसेना की पहली आईएमएक्स सहभागिता है, यह दूसरे अवसर को भी चिन्हित करता है जहां सीएमएफ द्वारा आयोजित अभ्यास में एक भारतीय नौसेना जहाज हिस्सा ले रहा है। मौजूदा समुद्री अभ्यास 26 फरवरी से शुरू हुआ है और 16 मार्च तक जारी रहेगा। इससे पहले, 22 नवंबर को आईएनएस त्रिकंद ने सीएमएफ के नेतृत्व वाले ऑपरेशन सी स्वॉर्ड 2 में भाग लिया था।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सी स्वॉर्ड 2 और आईएमएक्स सीई-23 जैसे अभ्यासों में सहभागिता भारतीय नौसेना को आईओआर में समुद्री भागीदारों के साथ संबंधों को सु²ढ़ बनाने और अंतर-पार?स्?परिकता और सामूहिक समुद्री क्षमता बढ़ाने में सक्षम बनाती है। यह नौसेना को क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में रचनात्मक योगदान करने में भी सक्षम बनाती है।
–आईएएनएस
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