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अनोखी पहल : पौधरोपण से हर व्यक्ति को जोड़ने में जुटे 11 युवा

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February 26, 2023
in Uncategorized, ताज़ा समाचार
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अनोखी पहल : पौधरोपण से हर व्यक्ति को जोड़ने में जुटे 11 युवा
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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

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साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

–आईएएनएस

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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कुशीनगर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के 11 युवाओं ने 11 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वे अपने इस कार्य में न सिर्फ वालिंटियर्स, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। चाहे महापुरुषों की जयंती हो या बच्चे का जन्मदिन, या वैवाहिक वर्षगांठ, इन तिथियों पर पौधरोपण करना और कराना इनके लिए अभियान बन गया है।

वर्ष 2006 में कुशीनगर कसया के रहने वाले डाक्टर हरिओम मिश्रा ने राष्ट्रीय सेवा योजना एनएसएस के कैंप में भागीदारी और पौधरोपण किया तब उन्हें लगा की पूरी सृष्टि इन पौधों पर आश्रित है। पशु पक्षी हो या मानव, सबके जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है।

साल 2012 से चलाए जा रहे इस अभियान में अब तक न सिर्फ 10 अन्य सदस्य, बल्कि 50 से अधिक वालिंटियर भी जुड़ गए हैं। इन्होने समाज के हर घर और हर व्यक्ति तक पहुंच बनाने के लिए न सिर्फ जन्मोत्सव पर पौधरोपण के स्लोगन के साथ काम करना शुरू किया है, बल्कि महापुरुषों की जयंती और वैवाहिक वर्षगांठ पर पौधे लगाकर और लगवाकर आम जन को प्रेरित कर रहे हैं।

कुशीनगर के उदितनारायण पीजी कालेज में समाजशास्त्र के शिक्षक डाक्टर हरिओम मिश्रा पर्यावरण के रक्षक बने हुए हैं। वह हरियाली की अलख जगाने के लिए पर्यावरण संग जन्मोत्सव अभियान को चला रहे हैं। वह इस काम को अकेले नहीं करते बल्कि उनकी पूरी 11 लोगों की टीम कंधे से कंधा मिलाकर उनके इस कार्य में पूरा सहयोग करती है।

हरिओम ने बताया कि पर्यावरण का इतना दोहन हो गया। उसे बचाने के लिए किसी न किसी का आगे आना होगा। क्योंकि मनुष्य के भोजन से लेकर जीव जीव जंतु पशु पक्षी के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। पेड़ लगाने से जीवन बच रहा है। इसकी अहमियत अभी आई वैश्विक महामारी कोरोना में समझ आई।

उन्होंने बताया कि पहले हम लोगों ने इसकी शुरूआत 2006 से की थी। लेकिन अनुभव की कमी थी। पहले इसको हम सार्वजनिक स्थलों पर लगाते थे। लेकिन पौधा बच नहीं रहा था। फिर सुरक्षित स्थानों पर लगाना शुरू किया। जहां बाउंड्री वाल हो, गेट बंद हो। फिर सोचा गया पौधरोपण अभियान को हर घर तक पहुंचाया जाए इसके लिए हमने लोगों के यहां बच्चों के जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ में पौधे लगाना शुरू किया। अब धीरे धीरे पूरे जिले में यह एक बड़ा ट्रेंड हो गया। लोग अब हमसे खुद संपर्क करते है।

इसके साथ ही महपुरुषों की जयंती पर राष्ट्रीय पर्वों पर स्कूल, कालेज अस्पतालों में पौध रोपण हो रहा है। अभी तक हमारी टीम तकरीबन 11 हजार पौधे रोप चुकी है। आम, पीपल, पाकड़, बरगद, तुलसी, कदम जैसे छायादार पौधे रोप रहे हैं। इसके साथ ही हम लोग इनके संरक्षण के लिए सुरक्षित स्थान ही ढूंढते है। जैसे स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन इन स्थानों पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होती है और पौधे की सुरक्षा भी होती है।

हरिओम कहते हैं पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान में अब लोग हमारा इंतजार करते हैं। वो पौधे खरीद लेते हैं या जब हम पौधे ले जाते हैं तो वे उसका पैसा देते हैं। उन्होंने बताया कि जन्मदिन पर लीची, आम, जामुन जैसे तमाम फलदार वृक्ष लगा चुके हैं। हमारी 11 लोगों की टीम है। पहले वृक्षारोपण अभियान के लिए आपस में ही चंदा कर लेते थे। धीरे धीरे जन सहयोग मिलने लगा। अब पौधा खरीदने के लिए धन का अभाव नहीं रहता है। उनके इस अभियान में स्थानीय लोगों का काफी सहयोग रहता है।

हरिओम ने बताया कि सीमा त्रिपाठी, इन्द्र कुमार मिश्र, अंजनी नंदन सिंह, प्रज्ञा राय, प्रिया, विजेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक श्रीवास्तव, पवनेशमणि, सत्येंद्र कुमार मिश्र, ऋषिकेश मिश्र पौधरोपण अभियान में सहयोगी हैं।

कुशीनगर के रहने वाले सुबोध बताते हैं कि पौधरोपण संग जन्मोत्सव अभियान 11 लोगों की टीम घर घर जाकर पौधरोपण कर रही है। वह बच्चों के जन्मदिन और वैवाहिक वर्षगांठ और महापुरुषों की जयंती पर वृक्षारोपण करते हैं।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के अध्यक्ष रहे जो कि अब पौधों पर काम कर रहे हैं, उनका कहना है कि बरगद, पीपल, पाकड़ जैसे वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होते है। यह ऑक्सीजन तो देते ही हैं, साथ ही ध्वनि प्रदूषण को भी रोकते हैं। यह वृक्ष लगाने वाली टीम काफी अच्छे पौधे लगाकर लोगों के जीवन को संरक्षित कर रही है।

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