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Home ताज़ा समाचार

अयोध्या के जरिए और चटक होगा सामाजिक समरसता का रंग

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January 13, 2024
in ताज़ा समाचार
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अयोध्या के जरिए और चटक होगा सामाजिक समरसता का रंग
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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

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आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

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अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

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गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

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अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

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गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

–आईएएनएस

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लखनऊ, 13 जनवरी (आईएएनएस)। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सामाजिक समरसता का रंग और चटक होगा। अयोध्या में हिन्दू धर्म के सभी संप्रदायों के मंदिर और अखाड़े हैं। श्रीराम की जन्म स्थली होने के साथ ही यह पांच जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली है।

अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) का मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है।

आध्यात्म के जानकर प्रमोदनंदगिरी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, गिद्धराज जटायु का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, वानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक समरसता की बहुत ऊंची मिसाल पेश की। कुछ कालखंडों को अपवाद मान लें तो राम की अयोध्या भी सामाजिक समरसता की नजीर रही है।

उन्होंने बताया कि सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण हैं। इसी सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है।

गिरीश पांडेय ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ताउम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जीया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े पात्रों से होते थे।

उन्होंने बताया कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में इन पात्रों से जुड़े सभी स्थान नए सिरे से सज संवर रहे हैं। यकीनन सामाजिक समरसता के लिहाज से बेहद संपन्न रही राम की अयोध्या की वजह से सामाजिक समरसता का यह संदेश और चटक होगा। इसका संदेश दूरगामी और असर बहुत व्यापक होगा।

गिरीश पांडेय कहते हैं कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामाकरण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर आंदोलन की अगुआई करने वालों के शीर्षस्थ लोगों में शामिल ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ अपने हर प्रवचन में श्रीराम के इस उदात्त चरित्र के जरिये समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते रहे। अपने हर संबोधन में वह अनिवार्य रूप से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूरे प्रेम से शबरी के जूठी बेर खाने, निषादराज को गले लगाने, गिद्धराज जटायु के उद्धारक और गिरजनों की मदद से अन्याय के प्रतीक रावण को पराजित करने वाले राम के जीवन से जुड़े प्रसंगों की चर्चा जरूर करते थे।

गिरीश पांडेय ने आगे बताया कि संतों के साथ काशी के डोमराजा के घर भोजन और सहभोजों का सिलसिला इसका सबूत है। यही नहीं अयोध्या में जब उनकी मौजूदगी में प्रतीकात्मक रूप से भूमि पूजन हुआ तो उनकी पहल पर पहली शिला रखने का अवसर कामेश्वर चौपाल नाम के एक दलित को मिला। अपने ब्रह्मलीन गुरुदेव के इन संस्कारों के अनुरूप योगी आदित्यनाथ ने भी दलित समाज को जोड़ने की यह परंपरा जारी रखी।

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