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Home राष्ट्रीय

आंध्र के जंगल में बाघ के 4 शावकों को मां से मिलाने की कोशिश नाकाम

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March 9, 2023
in राष्ट्रीय
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आंध्र के जंगल में बाघ के 4 शावकों को मां से मिलाने की कोशिश नाकाम
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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

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वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

–आईएएनएस

सीबीटी

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

–आईएएनएस

सीबीटी

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

–आईएएनएस

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

–आईएएनएस

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

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इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

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वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

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ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

–आईएएनएस

सीबीटी

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

वन अधिकारियों ने बाघिन का पता लगाने के अपने प्रयासों के तहत कैमरा ट्रैप लगाए हैं।

ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

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अमरावती, 9 मार्च (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के वन अधिकारियों द्वारा आत्मकुर के जंगलों में चार बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने की कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। वन कर्मी शावकों को उस स्थान पर ले गए, जहां एक चरवाहे ने बुधवार रात बाघिन को देखे जाने की सूचना दी थी। उन्होंने गुरुवार तड़के तक इंतजार किया, लेकिन बाघिन नहीं आई।

पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

अधिकारियों ने कहा कि अगर शावकों को बाघिन मां से मिलाने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला, तो वे शावकों को बचाने के लिए उन्हें एसवी जूलॉजिकल पार्क तिरुपति में स्थानांतरित करने पर विचार करेंगे।

इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

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वन अधिकारियों का मानना है कि गांव के पास शावकों को लाकर बाघिन रास्ता भटक गई होगी।

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पांच दिन पहले एक गांव के पास लावारिस पाए गए शावकों को वापस नल्लामाला जंगल कैंप बैरलूटी के वन अतिथि गृह में लाया गया, जहां वे पशु चिकित्सकों की टीम की देखरेख में रह रहे।

वन अधिकारियों को बुधवार सुबह उस स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर एक बाघिन के पगमार्क मिले थे, जहां ग्रामीणों ने शावकों को देखा था। एक चरवाहे ने भी बुधवार शाम को गांव के पास बाघिन के देखे जाने की सूचना दी थी। इसने शावकों को उनकी मां के साथ फिर से मिलाने की उम्मीद जगाई थी।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और राज्य वन विभाग के अधिकारियों वाली एक विशेषज्ञ समिति अब अगला कदम तय करेगी।

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इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

वन अधिकारियों ने सोमवार रात शावकों को जंगल में छोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन आसपास उनकी मां का कोई निशान नहीं होने के कारण, उन्होंने योजना छोड़ दी और उन्हें वापस गेस्ट हाउस ले आए।

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ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

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इस बीच शावकों के बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि सभी शावक स्वस्थ, सक्रिय और सामान्य हैं। वन विभाग ने एक कमरे में शावकों के आपस में खेलने का वीडियो जारी किया है।

एक महीने के शावकों को चिकन लीवर, दूध और पानी पिलाया गया।

एसवी जूलॉजिकल पार्क, तिरुपति के पशु चिकित्सक उनकी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

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ग्रामीणों ने रविवार को नांदयाल जिले के कोठापल्ली मंडल (ब्लॉक) में पेड्डा गुम्मदापुरम के बाहरी इलाके में शावकों को लावारिस हालत में पाया। कुछ देर इंतजार करने के बाद यह देखने के लिए कि क्या उनकी मां आती है, ग्रामीणों ने शावकों को शिकारियों से बचाने के लिए एक खेत में एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया और वन अधिकारियों को सूचित किया।

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