जयपुर, 19 अगस्त (आईएएनएस)। राजस्थान के एंट्रेंस एग्जाम हब कोटा से कथित तौर पर एनईईटी और जेईई क्रैक करने के दबाव के चलते 20 आत्महत्याओं की खबर सामने आई थी। इन मामलों में ज्यादातर छात्रों ने फांसी लगाकर खुदकुशी की थी। ऐसे में राज्य सरकार छात्रावास के कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगा रही है। ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए एक समिति का गठन किया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार देर शाम हॉस्टल्स डायरेक्टर्स, कोचिंग डायरेक्टर्स, प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों के माता-पिता और अभिभावकों के साथ बैठक की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि युवा ऐसे कदम क्यों उठा रहे हैं और इस मुद्दे से कैसे निपटा जाए।
दो घंटे तक चली बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सचिव (शिक्षा) को कोचिंग निदेशकों, छात्रों के माता-पिता और अभिभावकों को शामिल करते हुए एक समिति बनाने का निर्देश दिया, जो आत्महत्याओं को रोकने के सुझावों पर 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट सौंपेगी।
राज्य के शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला ने सुझाव दिया कि औसत छात्रों पर कंपीटिटिव एग्जाम में सफल होने के लिए “दबाव” डालने के बजाय उन्हें क्रिकेट और फुटबॉल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए, गहलोत ने कहा, “छात्र 15 साल की उम्र में कोटा कोचिंग सेंटर में प्रवेश लेते हैं और अपने माता-पिता से दूर रहते हैं। इसलिए, कोचिंग डायरेक्टर्स की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें घर जैसा माहौल प्रदान करें। त्योहारों पर अभ्यर्थियों को घर जाने की अनुमति दी जाए। अगर विद्यार्थी दबाव में पढ़ाई करेंगे तो आत्महत्या के मामले बढ़ेंगे।”
कल्ला ने कहा, “यदि छात्र कमजोर है, तो उसे क्रिकेट या फुटबॉल खेलने की सलाह देनी चाहिए। विराट कोहली को देखिये, डॉक्टर और इंजीनियर से भी ज्यादा कमा रहे हैं। कोचिंग सेंटरों को खुशी के माहौल वाले केंद्रों में तब्दील किया जाना चाहिए और छात्रों को यह सिखाया जाना चाहिए कि असफलताओं के बाद कैसे सफल हुआ जाए।”
गहलोत ने कहा, “अब रुझान बदल रहा है क्योंकि आईआईटीयन भी राजनेताओं के लिए राजनीतिक सर्वेक्षण कर रहे हैं और उनके चुनाव अभियान में लगे हुए हैं।”
बैठक में राज्य मंत्री जाहिदा खान ने कहा कि कोटा में कोचिंग संस्थान सिर्फ पैसा कमाने की मशीन नहीं बनें।
खान ने कहा, “प्रवेश से पहले बच्चों का टेस्ट लिया जाना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि वे कंपीटिटिव एग्जाम की तैयारी करने में सक्षम हैं या नहीं। यदि नहीं, तो माता-पिता को इसके बारे में बताना चाहिए।”
खान ने सुझाव दिया कि हॉस्टल्स में म्यूजिक और योगा की क्लासेज होनी चाहिए, ताकि छात्रों के दिमाग पर कोई दबाव न पड़े।
इस बीच, कोटा प्रशासन द्वारा 3200 छात्रावासों में स्प्रिंग लोडेड पंखे लगाने की रिपोर्ट आलोचकों का ध्यान आकर्षित कर रही है, जिन्होंने कहा है कि इस तरह के कृत्य आत्महत्याओं को रोकने के लिए अक्षम हैं।
मैरीवाला हेल्थ इनिशिएटिव की सीईओ प्रीति श्रीधर कहती हैं, “स्प्रिंग पंखे लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। हमें इन छात्रों के अंतर्निहित तनाव को समझने की जरूरत है।”
“यह तनाव उस समाज से आता है, जिसमें 12वीं क्लास और कंपीटिटिव एग्जाम को व्यक्ति के जीवन में सफलता का मानक माना जाता है।
यह तनाव इस तथ्य से कई गुना बढ़ सकता है कि माता-पिता को अपने बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं, यह तब और भी जटिल हो जाता है जब एक युवा व्यक्ति अपने घर से एक नई जगह और एक ऐसे शहर में जाता है जहां भोजन अलग होगा और ऐसे लोग होंगे जो अलग भाषा बोलते हैं।
जिन कोचिंग संस्थानों में लंबे समय तक पढ़ाई करने का दबाव रहता है, उनके छात्र तनाव का अनुभव करते हैं और जिनके पास कोई या सीमित सहायता प्रणाली नहीं है या उनके परिवार, दोस्त या परिचित व्यक्ति नहीं हैं, जिनसे वे बातचीत कर सकें, वे तनाव महसूस करते हैं।”
श्रीधर ने कहा, “इसलिए, मुझे लगता है कि यह जरुरी है कि राजस्थान सरकार को एक समाधान निकालना चाहिए, जो राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति के अनुरूप हो, जो इस मुद्दे के समाधान के लिए कई विभागों के एक साथ आने की बात करता है।”
इस बीच, जिला कलेक्टर ओपी बुनकर के इस संदर्भ में निर्देश दिए जाने पर छात्रावासों में स्प्रिंग लोडेड पंखे लगाने का काम तेजी से चल रहा है।
हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने बताया कि कोटा में 3500 हॉस्टल हैं और अब तक करीब 3200 हॉस्टलों में स्प्रिंग डिवाइस लगाई जा चुकी हैं।
दरअसल, 40 किलो से ज्यादा वजन लादने पर पंखे बंद हो जाएंगे। यह अलार्म सिस्टम के साथ आता है, जो तब शोर पैदा करता है, जब कोई लटकने की कोशिश करता है।
हालिया घटना में, एक 18 वर्षीय छात्र को मंगलवार को कोटा में एक किराए के आवास पर लटका हुआ पाया गया। इस महीने कोटा में यह चौथी आत्महत्या की घटना है, दो आईआईटी-जेईई उम्मीदवारों और एक एनईईटी-यूजी उम्मीदवार सहित तीन अन्य कोचिंग छात्रों की इस महीने की शुरुआत में मौत हो गई।
पिछले साल कोचिंग हब में छात्रों की आत्महत्या के कम से कम 15 मामले सामने आए थे।
कोटा प्रशासन ने जिले में छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की है। बढ़ती मौतों पर राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों के बाद, जिला प्रशासन ने कोटा में छात्रों के मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन और उन्हें आवश्यक परामर्श प्रदान करने के लिए कहा था।
इस बीच प्रीति कहती हैं, “मुझे लगता है कि हमें स्पष्ट रूप से प्रतिक्रियावादी दृष्टिकोण से निवारक दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की ज़रूरत है।”
–आईएएनएस
पीके/एबीएम