नई दिल्ली, 26 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय वैदिक गणित, जल्द ही एक विषय के रूप में आईआईटी व ऐसे ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों के छात्रों का सिलेबस बन सकता है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों समेत कई अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में भारतीय वैदिक गणित को लाने की तैयारी की गई है।
भारतीय वैदिक गणित, भारतीय दर्शनशास्त्र,भारतीय संस्कृत और विज्ञान एवं भारतीय सौंदर्यशास्त्र, उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाएंगे। इसके लिए बकायदा शिक्षा मंत्रालय की ओर से बड़ी पहल की गई है और देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगा गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुताबिक भारतीय वैदिक गणित के साथ-साथ भारतीय दर्शनशास्त्र,भारतीय संस्कृत और विज्ञान एवं भारतीय सौंदर्यशास्त्र भी उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाए जाएंगे। यूजीसी का कहना है कि वह इन सभी क्षेत्रों में देशभर के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों से अभिरूचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित कर रहा है।
यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक, भारतीय वैदिक गणित, भारतीय दर्शनशास्त्र, भारतीय संस्कृत और विज्ञान एवं भारतीय सौंदर्यशास्त्र के प्रस्ताव पर उच्च शिक्षण संस्थान 30 अप्रैल से पहले अपना एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट ऑनलाइन जमा करा सकते हैं।
यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक इस संबंध में यूजीसी ने देश भर के सभी आईआईटी संस्थानों, सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति व समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों से आधिकारिक तौर पर संपर्क किया है। इन सभी को यूजीसी ने बकायदा एक पत्र भेजा है।
पत्र में यूजीसी की ओर से कहा गया है कि यह कदम संस्कृत के विकास और गुणवतापूर्ण ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन संस्कृत शिक्षण अधिगम सामग्री को विकसित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
यूजीसी ने आईआईटी समेत इन सभी संस्थानों से कहा है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग वैदिक गणित, भारतीय दर्शनशास्त्र, भारतीय सौंदर्यशास्त्र और भारतीय संस्कृत एवं विज्ञान के क्षेत्र में अभिरूचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित करता है।
विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों से कहा गया है कि वे अभिरूचि की अभिव्यक्ति का प्रस्ताव 30 अप्रैल, 2023 से पहले उनको जारी किए गए एक विशेष ऑनलाइन लिंक पर जमा कर सकते हैं।
वैदिक गणित के विशेषज्ञ ए.के. त्रिपाठी बताते हैं कि यह सूत्र सहज ही में समझ में आ जाते हैं। इनका अनुप्रयोग सरल है तथा सहज ही याद हो जाते हैं। यह ऐसा ज्ञान है जिसके माध्यम से कैलकुलेशन की प्रक्रिया मौखिक भी हो जाती है। ये सूत्र गणित की सभी शाखाओं के सभी अध्यायों में सभी विभागों पर लागू होते हैं। शुद्ध अथवा प्रयुक्त गणित में ऐसा कोई भाग नहीं जिसमें उनका प्रयोग न हो। अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, समतल तथा गोलीय त्रिकोणमितीय, समतल तथा घन ज्यामिति (वैश्लेषिक), ज्योतिर्विज्ञान, समाकल तथा अवकल कलन आदि सभी क्षेत्रों में वैदिक सूत्रों का अनुप्रयोग समान रूप से किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक छोटी उम्र के बच्चे भी सूत्रों की सहायता से प्रश्नों को मौखिक हल कर उत्तर बता सकते हैं। वैदिक गणित का संपूर्ण पाठ्यक्रम प्रचलित गणितीय पाठ्यक्रम की तुलना में काफी कम समय में पूर्ण किया जा सकता है।
गौरतलब है कि वैदिक शिक्षा को लेकर देश के कई बड़े व प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में कुछ छुटपुट पहल शुरू हो चुकी है। बीते दिनों दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में सहृदयं सांमनस्यमविद्वेषं कृणोमि व इस वेद वाक्य को आधार बनाकर वैदिक संगोष्ठी करने का निर्णय लिया गया था। दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में यह वैदिक संगोष्ठी महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान उज्जैन इस आयोजन में जामिया का सहयोगी था। दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा यह संयुक्त त्रिदिवसीय अखिल भारतीय वैदिक आयोजन किया गया।
यही नहीं, वैदिक शिक्षा पर शिक्षा मंत्रालय ने और भी कई पहल की है।
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि भारत में तो लोकतांत्रिक प्रणाली भी वैदिक काल से युगों से विकसित हुई है। इस पहलू को ध्यान में रखते हुए यूजीसी भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के सहयोग से देश भर के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और 45 डीम्ड विश्वविद्यालयों में विशेष लेक्कचर आयोजित किए थे। इस प्रक्रिया में सभी राज्यों के राज्यपालों को भी शामिल किया गया। राज्यपालों से अनुरोध किया गया था कि वे अपने-अपने राज्यों के सभी विश्वविद्यालयों को दिए गए विषय पर लेक्च र आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करें।
–आईएएनएस
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