नई दिल्ली, 19 अगस्त (आईएएनएस) राज्य सभा सभापति जगदीप धनखड़ ने आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को विस्तृत विचार विमर्श के लिए गृह मामलों से विभाग से संबंधित संसद की स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया है।
कमेटी को इन तीनों विधेयकों पर विचार विमर्श कर तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
राज्य सभा सचिवालय द्वारा 18 अगस्त, शुक्रवार को देर रात जारी किए गए संसदीय बुलेटिन में बताया गया कि, सदस्यों को सूचित किया जाता है कि राज्य सभा के सभापति ने लोक सभा स्पीकर के परामर्श से 18 अगस्त 2023 को भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को गृह मामलों पर विभाग से संबंधित संसद की स्टैंडिंग कमेटी ( स्थायी समिति) को जांच कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देने के लिए भेज दिया है।
आपको बता दें कि गृह मामलों पर विभाग से संबंधित संसद की स्टैंडिंग कमेटी राज्य सभा की है और भाजपा राज्य सभा सांसद बृजलाल इस कमेटी के अध्यक्ष हैं। कमेटी में भाजपा के अलावा कांग्रेस, डीएमके, बीजू जनता दल,तृणमूल कांग्रेस,जेडीयू, वाईएसआर कांग्रेस और शिवसेना के सांसद भी शामिल है। कमेटी में चेयरपर्सन बृजलाल सहित राज्य सभा के 10 और लोक सभा के 20 सांसद शामिल हैं। लोक सभा के एक सांसद की सीट अभी इस कमेटी में खाली है।
गौरतलब है कि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त,2023 को लोक सभा में 1860 में बने आईपीसी,1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट को गुलामी की निशानी बताते हुए इन तीनों विधेयकों की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों – भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश किया था।
शाह ने इन तीनों बिलों को सदन में पेश करते हुए कहा कि ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों की संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का उद्देश्य दंड देना था, जबकि इन तीनों बिलों का उद्देश्य न्याय देना है। उन्होंने कहा था कि इसमें राजद्रोह के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है, नाम बदल कर यौन शोषण करने वालो के खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया है, दोषियों की संपत्ति कुर्की का प्रावधान किया गया है, सजा माफी को लेकर भी नियम बनाया गया है।
पुलिस, अदालत और वकीलों की जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। उन्होंने भारतीय न्यायिक व्यवस्था और दंड व्यवस्था में आमूल चूल बदलाव का दावा करते हुए कहा था कि चार साल के गहन विचार विमर्श के बाद ये तीनों बिल लाये गए हैं। शाह ने इस पर और ज्यादा विचार विमर्श करने के लिए इन्हें स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी रखा था, जिसे लोक सभा ने स्वीकार कर लिया था।
–आईएएनएस
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