नई दिल्ली, 10 फरवरी (आईएएनएस)। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने शुक्रवार को घरेलू मांग और निर्यात को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और कौशल केंद्र के रूप में निवेश की सुविधा के लिए यूपी सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
सरकार ने 2025-26 तक 300 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्च रिंग का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 75-100 बिलियन डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्च रिंग उत्तर प्रदेश से होने की उम्मीद है।
आईसीईए के अध्यक्ष पंकज महेंद्रू ने कहा- उत्तर प्रदेश में पहले से ही मोबाइल फोन और पुजरें की कुल निर्माण इकाइयों का 60 प्रतिशत से अधिक है। हमें विश्वास है कि रणनीतिक पहुंच और समर्थन के साथ, यूपी त्वरित निवेश और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) इकाइयों की वृद्धि देख सकता है।
महेंद्रू ने कहा, उत्तर प्रदेश को सभी कार्यक्षेत्रों में धर्मनिरपेक्ष रूप से विकसित होना है और वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र के रूप में चीन में शेनझेन को ग्रहण करना है। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020 में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश और 2025 तक राज्य के भीतर 4 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है।
महेंद्रू ने कहा, राज्य को अन्य बातों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे, व्यापार करने में आसानी, गुणवत्ता और बिजली की लागत के मामले में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए तैयार होने की आवश्यकता होगी। संशोधित उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति सही दिशा में एक कदम है।
यूपी भारत में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे बड़ा निर्यातक है, जहां 196 से अधिक ईएसडीएम कंपनियां हैं और राज्य में संचालित भारत की कुल मोबाइल घटक निर्माण इकाइयों का 55 प्रतिशत है। इसके परिणामस्वरूप देश में निर्मित कुल मोबाइल का लगभग 60 प्रतिशत राज्य से आता है।
राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव-आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, अरविंद कुमार ने कहा, राज्य आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स का पावर हाउस बनने की दिशा में काम कर रहा है। आईसीईए के साथ हमारी साझेदारी हमारे प्रयासों को और मजबूत करेगी।
–आईएएनएस
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