नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के साथ मिलकर निपाह वायरस (एनआईवी) की जांच के लिए आईजीएम और आईजीजी एलिसा प्राइमरी डायग्नोस्टिक टूल विकसित किया है। एनआईवी एक जूनोटिक पैरामाइक्सोवायरस है, जो मनुष्यों में घातक एंसेफलाइटिस का कारण बनता है।
एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेट एसे (एलिसा) एक सुरक्षित, संवेदनशील, विशिष्ट और किफायती नैदानिक उपकरण है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर महामारी विज्ञान जांच की स्क्रीनिंग के दौरान किया जा सकता है।
आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में रेखांकित किया है कि संदिग्ध मामलों में एनआईवी के सीरम नमूनों की जांच के लिए आईजीएम और आईजीजी एलिसा के विकास और मूल्यांकन से सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की योजना बनाने में भी मदद मिलेगी।
मानव सीरा में एनआईवी के खिलाफ आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए एनआईवी एंटीजन का उपयोग करके एक आईजीएम कैप्चर (एमएसी) एलिसा और एक अप्रत्यक्ष आईजीजी एलिसा विकसित किया गया था। परीक्षण की संवेदनशीलता, विशिष्टता और क्रॉस-रिएक्टिविटी का मूल्यांकन क्रमश: एनआईवी आईजीएम, आईजीजी पॉजिटिव, नेगेटिव ह्यूमन सीरा और खसरा, कंठमाला, रूबेला, क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार, क्यासनूर पॉजिटिव सीरा का उपयोग करके किया गया था।
वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि विकसित एंटी-एनआईवी आईजीएम और आईजीजी एलिसा ने रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, यूएसए के संदर्भ परीक्षण की तुलना में 99.28 प्रतिशत की विशिष्टता और 100 प्रतिशत की संवेदनशीलता दिखाई है। परीक्षण ने 99.33 प्रतिशत की परीक्षण सटीकता के साथ निपाह आईजीएम एलिसा और आईजीजी एलिसा के लिए क्रमश: 100 प्रतिशत के नकारात्मक भविष्य कहनेवाला मूल्य और 90 और 93.94 प्रतिशत के रूप में सकारात्मक भविष्य कहनेवाला मूल्य प्रदर्शित किया।
मामलों के प्रबंधन के लिए एनआईवी का समय पर निदान महत्वपूर्ण है, जो समुदाय में संक्रमण के प्रसार को रोक सकता है। आईजीएम एलिसा का इस्तेमाल पोलीमरेज चेन रिएक्शन के बाद प्राथमिक डायग्नोस्टिक टूल के रूप में किया जा सकता है।
–आईएएनएस
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