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आज समझ में आया ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब : मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल

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July 25, 2024
in राष्ट्रीय
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आज समझ में आया ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब : मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल
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भोपाल, 25 जुलाई (आईएएनएस)। दुनियाभर में एक से सात अगस्त के मध्य विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए जन जागृति अभियान चलाए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने नवजात के लिए स्तनपान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि आज उन्हें भी एक नई जानकारी मिली है और वह है ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब।

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उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला भंबल ने कहा कि स्तनपान नहीं, बल्कि हमें इसे अमृत पान कहना चाहिए। इसका विकल्प कुछ और नहीं है।

नेहा बग्गा ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते मां के दूध से ज्यादा उत्पाद को महत्व दिए जाने पर चिंता जताई। स्वास्थ्य विभाग की उपसंचालक हिमांगी यादव ने जन्म के पहले घंटे और लगातार छह माह तक स्तनपान से नवजात को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने सात दिनों के इस अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की।

–आईएएनएस

एसएनपी/एबीएम

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भोपाल, 25 जुलाई (आईएएनएस)। दुनियाभर में एक से सात अगस्त के मध्य विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए जन जागृति अभियान चलाए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने नवजात के लिए स्तनपान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि आज उन्हें भी एक नई जानकारी मिली है और वह है ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब।

उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला भंबल ने कहा कि स्तनपान नहीं, बल्कि हमें इसे अमृत पान कहना चाहिए। इसका विकल्प कुछ और नहीं है।

नेहा बग्गा ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते मां के दूध से ज्यादा उत्पाद को महत्व दिए जाने पर चिंता जताई। स्वास्थ्य विभाग की उपसंचालक हिमांगी यादव ने जन्म के पहले घंटे और लगातार छह माह तक स्तनपान से नवजात को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने सात दिनों के इस अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की।

–आईएएनएस

एसएनपी/एबीएम

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भोपाल, 25 जुलाई (आईएएनएस)। दुनियाभर में एक से सात अगस्त के मध्य विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए जन जागृति अभियान चलाए जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने नवजात के लिए स्तनपान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि आज उन्हें भी एक नई जानकारी मिली है और वह है ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब।

उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला भंबल ने कहा कि स्तनपान नहीं, बल्कि हमें इसे अमृत पान कहना चाहिए। इसका विकल्प कुछ और नहीं है।

नेहा बग्गा ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते मां के दूध से ज्यादा उत्पाद को महत्व दिए जाने पर चिंता जताई। स्वास्थ्य विभाग की उपसंचालक हिमांगी यादव ने जन्म के पहले घंटे और लगातार छह माह तक स्तनपान से नवजात को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने सात दिनों के इस अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की।

–आईएएनएस

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने नवजात के लिए स्तनपान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि आज उन्हें भी एक नई जानकारी मिली है और वह है ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब।

उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला भंबल ने कहा कि स्तनपान नहीं, बल्कि हमें इसे अमृत पान कहना चाहिए। इसका विकल्प कुछ और नहीं है।

नेहा बग्गा ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते मां के दूध से ज्यादा उत्पाद को महत्व दिए जाने पर चिंता जताई। स्वास्थ्य विभाग की उपसंचालक हिमांगी यादव ने जन्म के पहले घंटे और लगातार छह माह तक स्तनपान से नवजात को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने सात दिनों के इस अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की।

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने नवजात के लिए स्तनपान के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि आज उन्हें भी एक नई जानकारी मिली है और वह है ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग का मतलब।

उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला भंबल ने कहा कि स्तनपान नहीं, बल्कि हमें इसे अमृत पान कहना चाहिए। इसका विकल्प कुछ और नहीं है।

नेहा बग्गा ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते मां के दूध से ज्यादा उत्पाद को महत्व दिए जाने पर चिंता जताई। स्वास्थ्य विभाग की उपसंचालक हिमांगी यादव ने जन्म के पहले घंटे और लगातार छह माह तक स्तनपान से नवजात को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने सात दिनों के इस अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की।

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उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

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उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

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उन्होंने कहा कि नवजात शिशु के लिए जन्म के एक घंटे के भीतर मिलने वाला मां का दूध पहले टीके से कम नहीं है। इसके प्रति सिर्फ बच्चों को जन्म देने वाली मां ही नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है। छह माह तक सिर्फ मां का दूध मिलने से बच्चा कई बीमारियों से दूर रहता है। स्तनपान के महत्व को और फिल्मों में सुनने और देखने को मिलने वाले ‘मां का दूध पिया है तो मुकाबला करो’ डायलॉग का जिक्र करते हुए राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि वह भी इस डायलॉग का मतलब जान गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस डायलॉग का मतलब है कि अगर मां का दूध पिया है तो वह मजबूत होगा और मुकाबला कर सकेगा। यही कारण है कि चाहे दो लोगों के बीच जिरह हो या फिल्म के नजारे, उनमें जब भी मुकाबला होते दिखता है तो ‘मां का दूध पिया है’ डायलॉग सामने जरूर आता है। यह बात बताता है कि एक व्यक्ति के लिए मां के दूध का कितना महत्व है।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला भंबल ने कहा कि स्तनपान नहीं, बल्कि हमें इसे अमृत पान कहना चाहिए। इसका विकल्प कुछ और नहीं है।

नेहा बग्गा ने बाजारवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते मां के दूध से ज्यादा उत्पाद को महत्व दिए जाने पर चिंता जताई। स्वास्थ्य विभाग की उपसंचालक हिमांगी यादव ने जन्म के पहले घंटे और लगातार छह माह तक स्तनपान से नवजात को मिलने वाले लाभ का जिक्र किया। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने सात दिनों के इस अभियान की पूरी रूपरेखा प्रस्तुत की।

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