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Home राष्ट्रीय

‘आप’ और बस मार्शलों के समक्ष भाजपा को झुकना ही पड़ा : आतिशी 

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November 11, 2024
in राष्ट्रीय
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‘आप’ और बस मार्शलों के समक्ष भाजपा को झुकना ही पड़ा : आतिशी 
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नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार महीने के लिए बस मार्शलों की नियुक्ति को आम आदमी पार्टी (आप) की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफ़ी काम किए हैं।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

–आईएएनएस

पीकेटी/एबीएम

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नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार महीने के लिए बस मार्शलों की नियुक्ति को आम आदमी पार्टी (आप) की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफ़ी काम किए हैं।

मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार महीने के लिए बस मार्शलों की नियुक्ति को आम आदमी पार्टी (आप) की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफ़ी काम किए हैं।

मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार महीने के लिए बस मार्शलों की नियुक्ति को आम आदमी पार्टी (आप) की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफ़ी काम किए हैं।

मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

–आईएएनएस

पीकेटी/एबीएम

नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार महीने के लिए बस मार्शलों की नियुक्ति को आम आदमी पार्टी (आप) की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफ़ी काम किए हैं।

मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार महीने के लिए बस मार्शलों की नियुक्ति को आम आदमी पार्टी (आप) की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफ़ी काम किए हैं।

मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

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मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी ने बताया कि ये सर्विसेज मैटर है, तो, मंत्रिमंडल ने कहा कि एलजी ही इस पर पॉलिसी बनाएं। लेकिन, उनका काम करने का तरीका हमें पता है। वर्षों लग सकते हैं। इसलिए वो जैसे पहले काम कर रहे थे, करते रहें। बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाए। मार्शल बहुत गरीब लोग हैं। क‌ई लोग आत्महत्या तक कर चुके हैं। इनके ऊपर राजनीति मत करिए।

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मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि महिलाओं के साथ बसों में अभद्र व्यवहार न हो, इसके लिए 2015 में बसों में मार्शल लगाए गए थे। सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाए गए। 2023 में भाजपा ने अपने अधिकारियों के जरिए बस मार्शलों को हटा दिया। आप विधायकों, कार्यकर्ताओं ने बस मार्शलों के लिए सड़क पर संघर्ष किया और आखिर में भाजपा को आप और बस मार्शलों के संघर्ष के आगे झुकना ही पड़ा। एक साल से बस मार्शल सड़कों पर संघर्ष कर रहे थे, हमारे मंत्री और विधायक उनके साथ रहे, डंडे खाए। आखिर में ये संघर्ष काम आया। केंद्र सरकार झुकी और 4 महीने के लिए इन मार्शलों को नियुक्त किया जा रहा है। इन मार्शलों के न होने की वजह से बसों में महिलाओं और बुजुर्गों को बहुत दिक्कत हुई।

आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि एलजी साहब इस प्रस्ताव पर मुहर लगाएं, ताकि मार्शलों को रोजगार मिले और महिलाओं को सुरक्षा।

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में सर्वसम्मति से यह तय हुआ था कि तीन अक्टूबर को बस मार्शलों की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल के पास जाएंगे। आप विधायक और बस मार्शल इंतजार करते रहे। लेकिन, बीजेपी विधायक नहीं आए। पुलिस ने वहां डंडा भी चलाया था। पांच अक्टूबर को वीजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा और कहा कि दिल्ली सरकार प्रस्ताव पास करे, वो एलजी से पास कराएंगे। हम वीजेंद्र गुप्ता को लेकर एलजी के पास ग‌ए। उन्होंने कहा था कि एक सप्ताह में प्रस्ताव पास हो जाएगा। लेकिन, नहीं हुआ। इसके बाद एलजी साहब ने एक और गुलाटी मारी और कहा कि दोबारा प्रस्ताव भेजें।

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आतिशी ने बताया कि रविवार को कैबिनेट बैठक हुई, इसमें फैसला हुआ कि जो बस मार्शलों का मामला सर्विस और सुरक्षा के कारण पब्लिक ऑर्डर मैटर है। ये दिल्ली सरकार नहीं, बल्कि एलजी के अंदर आता है। ऐसा ट्रांसपोर्ट विभाग ने बताया, तो सभी मंत्रियों ने एलजी को प्रस्ताव भेजा कि वो दो शिफ्टों में बस मार्शलों को नियुक्त करें। बैठक में यह भी तय किया गया कि हो सकता है कि एलजी को नया प्रस्ताव बनाने में 6 महीने लग जाए, लेकिन तब तक महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। तब तक के लिए इन 10 हज़ार बस मार्शलों को नियुक्त किया जाए।

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