जालना (महाराष्ट्र), 12 फरवरी (आईएएनएस)। सात महीने में चौथी बार भूख हड़ताल पर बैठे शिव संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर सरकार ने वादे के मुताबिक मराठा कोटा घोषित करने के ठोस कदम नहीं उठाया तो वह भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि गुरुवार (15 फरवरी) के बाद क्या होगा।
अपनी भूख हड़ताल के तीसरे दिन जारांगे-पाटिल ने दोहराया कि आंदोलन का नवीनतम दौर तब तक जारी रहेगा जब तक “सरकार के आश्वासन और आदेश लागू नहीं हो जाते और मराठों को सभी लाभ नहीं मिल जाते।”
वह आज सुबह यहां अपने गांव अंतरावली-सरती में मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रहे थे, जब उनके समर्थकों की भीड़ उनके आसपास जमा हो गई, कई लोग उनके (जरांगे-पाटिल) और अगस्त, 2023 से लड़े जा रहे मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रहे थे।
जारंगे-पाटिल ने बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की महायुति सरकार ने ‘ऋषि-सोयारे’ (परिवार की वंशावली) के अलावा, कुनबी-मराठों और मराठा-कुनबियों को शामिल करने के लिए ओबीसी कोटा का विस्तार करने के लिए मसौदा अधिसूचना (26 जनवरी) जारी की।
उन्होंने घोषणा की कि “मसौदा पर्याप्त नहीं है। इसे एक कानून बनाया जाना चाहिए। सरकार किसका इंतजार कर रही है? उन्हें अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए। अगर सरकार 15 फरवरी तक उचित कदम उठाने में विफल रहती है, तो मुझे नहीं पता कि मराठा क्या करेंगे। आप पहले ही देख चुके हैं कि पिछले महीने जब उन्होंने मुंबई की ओर मार्च किया था तो क्या हुआ था।”
जारांगे-पाटिल ने गंभीर स्वर में कहा, “जैसे आप सभी के बेटे-बेटियां हैं, हमारे भी अपने बच्चे हैं, हम मंडल आयोग को अदालत में चुनौती नहीं देना चाहते। आप जियो और हमें भी जीने दो। हमें न्याय दो।” .
वर्तमान संकेतों के अनुसार, राज्य सरकार इस महीने मराठा आरक्षण की घोषणा करने के लिए विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाने की संभावना है, जैसा कि शिंदे ने दिसंबर, 2023 में आश्वासन दिया था।
–आईएएनएस
सीबीटी/