नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल आरजी कर मेडिकल कॉलेज को लेकर देशभर में व्याप्त आक्रोश के बीच 295 गणमान्यों ने खुला पत्र लिखा है। इसमें 20 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 110 सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी सहित 165 सेवानिवृत्त सैन्याधिकारी शामिल हैं। पत्र में डॉक्टरों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने की दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की गई। यह पत्र आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।
पत्र में कहा गया है कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो राज्य अपनी समृद्धि विरासत और संस्कृति के लिए जाना जाता है, वहां लगातार हमारी बहन-बेटियों के साथ कुकृत्य हो रहे हैं, लेकिन आरोपियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है, यह स्वीकार्य नहीं है। मां दुर्गा और रविंद्र नाथ टैगोर की भूमि से ऐसे मामलों का प्रकाश में आना निंदनीय है। इसकी जितनी भत्सर्ना की जाए, कम है। अब समय आ चुका है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं, ताकि निकट भविष्य में फिर कभी इस तरह के मामले प्रकाश में ना आएं। लेकिन, यह दुर्भाग्यूपर्ण है कि आज तक महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में जितने भी मामले सामने आए, उन सभी में सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में ढुलमुल रवैया ही अपनाया, जिसे अब किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
पत्र में कहा गया है कि इससे ज्यादा पीड़ादायी स्थिति और क्या हो सकती है कि पीड़िता के मां–बाप को अपनी बेटी का शव देखने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठते हैं, लेकिन सभी जिम्मेदार लोग इन सवालों से मुंह मोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। हतप्रभ करने वाली बात यह है कि घटनास्थल से महज 20 मीटर की दूरी पर इस घटना के 24 घंटे के बाद ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। इस पर भी संदेह पैदा होता है। संभवत: ऐसा करके इस घटना से जुड़े साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा हो। अंत में कोलकाता हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप सीबीआई को जांच सौंपे जाने का फैसला किया गया है।
पत्र में आगे कहा गया है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर भीड़ ने हमला कर दिया, लेकिन विडंबना देखिए कि पुलिस कोई भी कार्रवाई करने के बजाए मूकदर्शक बनी रही, जिससे उनकी इस पूरे मामले में शिथिलता साफ जाहिर होती है। इस घटना ने पश्चिम बंगाल सरकार की विफलता को सामने ला दिया है।
पत्र में कहा गया है कि आरजी मेडिकल कॉलेज कोई इकलौता मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी महिला सुरक्षा से जुड़े कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं, लेकिन, पश्चिम बंगाल सरकार निष्क्रिय बनी हुई है। इससे महिला सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता साफ जाहिर हो रही है। इससे पहले भी वहां पर कई महिलाओं के साथ दरिंदों ने कुकृत्य किए, लेकिन आज तक आरोपियों के खिलाफ कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे ऐसे मामलों मे विराम लग सके। लिहाजा, अब समय आ चुका है कि न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करे, क्योंकि राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं दम तोड़ती हुई नजर आ रही हैं।
पत्र में कहा गया है कि डॉक्टरों को सुरक्षित माहौल प्रदान के लिए रात के समय में भी सुरक्षाबलों की समुचित तैनाती की जाए। इसके अलावा, सभी संवेदनशील स्थानों को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जाए, ताकि कोई भी अप्रिय स्थिति सामने आने पर उसे चिन्हित किया जाए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त हो सके।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। कोलकाता हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। जांच एजेंसी ने अब तक इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है, लेकिन अभी तक किसी भी संतुष्टिजनक स्थिति में नहीं पहुंचा जा सका है।
उधर, इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही है। बीजेपी सहित अन्य दल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि वो इस मामले को लेकर गंभीर हैं और आरोपियों को किसी भी कीमत पर सख्त से सख्त सजा दिलाकर रहेंगी। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगी कि राज्य में महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिल सकें।
–आईएएनएस
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