मुंबई, 16 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को सिफारिश की कि राज्य सरकारों को एक वर्ष के दौरान जारी की जाने वाली वृद्धिशील गारंटी के लिए राजस्व प्राप्तियों का 5 प्रतिशत या सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 0.5 प्रतिशत की सीमा तय करने पर विचार करना चाहिए।
आरबीआई ने यह भी सिफारिश की है कि राज्य सरकारें विस्तारित गारंटी के लिए न्यूनतम गारंटी शुल्क लेने पर विचार कर सकती हैं और जोखिम श्रेणी और अंतर्निहित ऋण की अवधि के आधार पर अतिरिक्त जोखिम प्रीमियम लिया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि इसके अलावा, राज्य सरकारें भारत सरकार लेखा मानक (आईजीएएस) के अनुसार गारंटी से संबंधित डेटा प्रकाशित कर सकती हैं।
आरबीआई की सिफारिशों में यह भी कहा गया है कि ‘गारंटी’ शब्द में वे सभी उपकरण शामिल होने चाहिए, जो राज्य सरकार की ओर से आकस्मिक या अन्यथा दायित्व बनाते हैं और जिस उद्देश्य के लिए सरकारी गारंटी जारी की जाती है, उसे स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
आरबीआई के कार्य समूह द्वारा की गई इन सिफारिशों के कार्यान्वयन से राज्य सरकारों को बेहतर वित्तीय प्रबंधन की सुविधा मिलने की उम्मीद है।
आरबीआई ने राज्य सरकार की गारंटी पर कार्य समूह की रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर डाल दी है।
7 जुलाई, 2022 को आयोजित राज्य वित्त सचिवों के 32वें सम्मेलन के दौरान, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय से लिए गए सदस्यों को शामिल करते हुए एक कार्य समूह का गठन करने का निर्णय लिया गया।
कार्य समूह के संदर्भ की शर्तों में अन्य बातों के साथ-साथ राज्यों के लिए एक समान गारंटी सीमा निर्धारित करना, राज्य सरकारों द्वारा दी गई गारंटी के लिए एक समान रिपोर्टिंग ढांचा; गारंटी मोचन निधि आदि में राज्यों के योगदान की पर्याप्तता का आकलन करना शामिल है।
–आईएएनएस
एसजीके/