नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। बेंगलुरु स्थित सेल और जीन थेरेपी स्टार्टअप इम्यूनील थेरेप्यूटिक्स ने सोमवार को देश की पहली व्यक्तिगत और सटीक सीएआर टी-सेल थैरेपी लॉन्च की है, जिसे ‘क्वार्टेमी’ नाम दिया गया है। यह थैरेपी वयस्कों में बी-सेल नॉन-हॉजकिन लिंफोमा (बी-एनएचएल) के लिए है।
बी-सेल नॉन-हॉजकिन लिंफोमा रक्त कैंसर का एक प्रकार है, जो शरीर की लसीका प्रणाली में बी-सेल्स को प्रभावित करता है। भारत में नॉन-हॉजकिन लिंफोमा के लगभग 80-85% मामले इसी प्रकार के होते हैं।
‘क्वार्टेमी’ को जिसे भारतीय दवा नियामक सीडीएससीओ से मंजूरी मिली है। यह एक ऐसी व्यक्तिगत थैरेपी है, जो उन वयस्क मरीजों के लिए है, जिनका कैंसर बार-बार लौट आता है, या जिन पर अन्य इलाज जैसे कीमोथेरेपी असर नहीं करते। इसे स्पेन के हॉस्पिटल क्लीनिक डी बार्सिलोना (एचसीबी) से भी लाइसेंस प्राप्त हुआ है, जो सेल थेरेपी इनोवेशन में अग्रणी विश्व स्तर पर प्रसिद्ध संस्थान है।
यह थैरेपी मरीज की प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संशोधित कर उन्हें कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए तैयार करती है। बेंगलुरु में विकसित की गई यह तकनीक मरीजों को लंबे समय तक राहत देने की क्षमता रखती है।
कंपनी के अनुसार, क्वार्टेमी की कीमत अमेरिका में उपलब्ध समान उत्पाद की तुलना में दस गुना कम है। कंपनी की सह-संस्थापक किरण मजूमदार-शॉ ने कहा, “हमारा लक्ष्य कैंसर के इलाज को सस्ता और सुलभ बनाना है। क्वार्टेमी के जरिए हम भारत में उन्नत और व्यक्तिगत इलाज ला रहे हैं, जो वैश्विक स्तर की तकनीक पर आधारित है।”
2019 में शुरू हुई इम्यूनील ने 2022 में भारत की पहली सीएआर टी सेल थैरेपी का परीक्षण किया। यह परीक्षण चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर, बेंगलुरु और चेन्नई के कई अस्पतालों में हुआ। इस तकनीक में मरीज की टी-सेल्स को जेनेटिकली मॉडिफाई कर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए तैयार किया जाता है।
भारत और स्पेन में हुए परीक्षणों के अनुसार, क्वार्टेमी की सुरक्षा और प्रभावशीलता, अमेरिका में स्वीकृत सीएआर टी-सेल थेरेपी के समान ही है।
इम्यूनील के सह-संस्थापक और प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ मुखर्जी ने कहा, “क्वार्टेमी का लॉन्च भारत में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम है। विश्व स्तरीय रिसर्च और देश में ही निर्माण के जरिए हम रक्त कैंसर के मरीजों को नई उम्मीद दे रहे हैं।”
–आईएएनएस
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