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Home ताज़ा समाचार

इसरो के नए रॉकेट एसएसएलवी ने ईओएस-08 के साथ एक निजी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया

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August 16, 2024
in ताज़ा समाचार
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 16 अगस्त (आईएएनएस)। भारत ने शुक्रवार को अपने नए रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) के साथ दो सैटेलाइटों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया।

इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

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इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

–आईएएनएस

पीएसएम/एसकेपी

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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 16 अगस्त (आईएएनएस)। भारत ने शुक्रवार को अपने नए रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) के साथ दो सैटेलाइटों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया।

इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

–आईएएनएस

पीएसएम/एसकेपी

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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 16 अगस्त (आईएएनएस)। भारत ने शुक्रवार को अपने नए रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) के साथ दो सैटेलाइटों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया।

इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

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इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

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इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

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इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

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इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

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इसरो के रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी- डी3 ने अपनी तीसरी और अंतिम उड़ान के दौरान 175.5 किलोग्राम वज़नी एक भू-अवलोकन सैटेलाइट, ईओएस-08 और चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा के एसआर-0 सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित किया।

इस सफल लांचिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा, “एसएसएलवी की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। हम घोषणा कर सकते हैं कि एसएसएलवी विकास की प्रक्रिया पूरी हो गई है। हम एसएसएलवी तकनीक को उद्योगों को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में पहुंच चुके हैं।”

सोमनाथ ने यह भी बताया कि सैटेलाइटों को योजना के अनुसार उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। उन्होंने आगे कहा, “सैटेलाइट (ईओएस-08) में सौर पैनल भी लगाए गए हैं।”

एसएसएलवी मिशन निदेशक एस. एस. विनोद ने लांचिंग के बाद कहा कि एसएसएलवी कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया गया है। सैटेलाइट निर्देशक एम. अविनाश ने कहा, “ईओएस-08 सैटेलाइट नई तकनीकों के साथ अपने आप में अनूठा है। इसमें 20 नई तकनीकें और तीन नई पेलोड्स शामिल किए गए हैं।”

इसरो ने एसएसएलवी को 500 किलोग्राम की क्षमता के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) के लिए विकसित किया है, जो छोटे सैटेलाइटों के लिए बाजार की मांगों पर आधारित है।

शुक्रवार सुबह करीब 9:17 बजे, 34 मीटर ऊंचा और लगभग 119-टन का एसएसएलवी रॉकेट जिसकी लागत करीब 56 करोड़ रुपये है, को लांच किया गया। रॉकेट एक मोटी नारंगी आग की परत के साथ धीरे-धीरे गति पकड़ते हुए ऊपर गया।

मिशन के उद्देश्यों के बारे में इसरो ने बताया कि यह सैटेलाइट एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा और भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की नई स्पेस इंडिया लिमिटेड द्वारा परिचालन मिशनों की सुविधा प्रदान करेगा।

करीब 13 मिनट की उड़ान के बाद, 475 किमी की ऊंचाई पर, एसएसएलवीरॉकेट ने ईओएस-08 को उसकी कक्षा में स्थापित किया और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 को भी अलग कर दिया।

शहरी क्षेत्र आधारित स्पेस सेक्टर स्टार्ट-अप स्पेस रिक्शा का एसआर-0 पहला सैटेलाइट है। कंपनी के सीईओ श्रीमती केसन ने आईएएनएस को बताया “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे।”

इसरो के मुताबिक, ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में एक माइक्रो सैटेलाइट का डिजाइन और विकास, माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ इसके पेलोड और उपकरणों का निर्माण के साथ भविष्य के परिचालन सैटेलाइटों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना शामिल है।

–आईएएनएस

पीएसएम/एसकेपी

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