नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बुधवार को राजस्व विभाग, जीएनसीटीडी के एक उप-रजिस्ट्रार के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी। उन पर सरकारी काम के लिए आवेदकों से रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। एलजी ने कहा कि राजस्व अधिकारी के खिलाफ चूक और कमीशन के कृत्यों के अटूट सबूत हैं।
राजभवन ने एक नोट में कहा, ”वीके सक्सेना ने पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी में राजस्व विभाग के तत्कालीन उप-रजिस्ट्रार योगेश गौड़ के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) 1988 की धारा 17 ए के तहत जांच करने की अनुमति दी है। उन पर सरकारी काम के लिए आवेदकों से रिश्वत मांगने का आरोप लगा है।”
योगेश गौड़ के खिलाफ 2019 और 2020 में शिकायत दर्ज की गई थी। एलजी कार्यालय की तरफ से कहा गया कि सतर्कता निदेशालय को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से प्राप्त अनुरोध पर कार्रवाई करने का आदेश दिया जाना चाहिए।
सक्सेना ने कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ चूक और कमीशन के कृत्यों के अटूट (अकाट्य) सबूत हैं। सतर्कता निदेशालय ने पाया कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित मामले में राजस्व विभाग द्वारा स्पष्टीकरण प्रदान नहीं किया गया था।
सच्चाई सामने लाने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत जांच की सिफारिश की गई। सतर्कता निदेशालय ने बताया कि एसीबी ने पीसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामले की जांच करने की मंजूरी मांगी थी क्योंकि गौड़ अपने एजेंटों नवीन बैनीवाल और राहुल के माध्यम से आवेदकों से रिश्वत या अवैध परितोषण की मांग और प्राप्त कर रहे थे।
नोट में यह भी कहा गया है, ”यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी अधिकारी दस्तावेजों को लंबित रखता है और रिश्वत देने के बाद ही उन्हें मंजूरी देता है। एक ही व्यक्ति द्वारा दो शिकायतें 4 नवंबर 2019 और 19 मार्च 2020 को दर्ज की गईं।
दूसरी शिकायत में आरोप लगाया गया कि शिकायतकर्ता ने उत्तम नगर में अपनी गुलाब बाग संपत्ति पर बंधक विलेख के पंजीकरण के लिए एजेंट राहुल के माध्यम से 30,000 रुपये की रिश्वत दी थी। रिश्वत की रकम अनधिकृत निर्माण के कारण एमसीडी के साथ बुक की गई संपत्ति की मुहर नहीं लगाने के लिए एकत्र की गई थी।”
–आईएएनएस
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