चेन्नई, 26 अगस्त (आईएएनएस)। ऐसा लगता है कि तमिलनाडु के पूर्व उपमुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता ओ. पन्नीरसेल्वम अन्नाद्रमुक (एआईएडीएमके) की राजनीति में अपने प्रतिद्वंद्वी एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) से पूरी तरह हार गए हैं।
मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार को खुद और अपने तीन सहयोगियों के निष्कासन के खिलाफ ओपीएस की याचिका का निपटारा कर दिया था। याचिका का निपटारा होने के साथ ही ओपीएस के लिए कानूनी लड़ाई लगभग खत्म हो गई है।
ओपीएस खेमे के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में उनके शामिल होने से कैडरों और समर्थकों का पतन और विश्वास की हानि हुई है।
संकट में फंसे नेताओं को अब वापसी के लिए अपने पत्ते छुपाकर रखने होंगे और इसके लिए उन्हें अपनी जाति संबंधी पहचान का इस्तेमाल करना होगा। ओपीएस एक थेवर हैं और उनका समुदाय दक्षिण तमिलनाडु में शक्तिशाली है और समुदाय 2024 के चुनावों के दौरान कई दक्षिण तमिलनाडु लोकसभा क्षेत्रों में अन्नाद्रमुक की संभावनाओं को प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकता है।
ओपीएस खेमे से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पार्टी में अपना गौरव वापस लाने के लिए उन्हें आखिरी उपाय के तौर पर थेवर कार्ड खेलना होगा। हालांकि, ईपीएस द्वारा मदुरै में पार्टी की एक विशाल रैली आयोजित करने के बाद, उस खेमे को भरोसा है कि उन्होंने थेवर खेमे में सेंध लगा ली है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु में कटु जातीय प्रतिद्वंद्विता है और थेवर समुदाय ईपीएस, गौंडर का समर्थन नहीं करेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ, ओपीएस को अपने कार्यक्रमों और नीतियों पर फिर से विचार करना होगा और पार्टी में खोई हुई जमीन हासिल करनी होगी।
–आईएएनएस
एफजेड