नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। साल 2024 का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए प्रिंसटन और टोरंटो विश्वविद्यालयों के जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन को दिया गया है। ये दोनों दिग्गज एआई के क्षेत्र में अपनी कर्मठता के लिए जाने जाते हैं।
यह पुरस्कार मशीन लर्निंग (एमएल) में बिल्डिंग ब्लॉक्स की निर्माण प्रक्रिया में प्रदान की गई सहायता के लिए दिया गया है। इस प्रक्रिया के पूर्ण रूप से अमल में आने के बाद भविष्य में काम करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है।
स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बताया कि किस प्रभावी ढंग से दोनों वैज्ञानिकों ने तंत्रिका संबंधी (न्यूरल) नेटवर्कों पर काम किया है। उन्होंने अपने शोध के दौरान मानव मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की नकल करने का भी प्रयास किया। उन्होंने शोध में यह भी जानने की कोशिश की कि किस प्रकार यह प्रयोग सामान्य रूप से हमारे दैनिक जीवन में कार्यों में सुधार लाने तथा विशेष रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति लाने में कार्य कर रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि टोरंटो विश्वविद्यालय के मशहूर शोधकर्ता जेफ्री हिंटन ने यह भी चेतावनी दी कि एआई के ज्यादा उपयोग से चीजें नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं। हालांकि उन्होंने इससे पहले एआई की तुलना ‘एक और औद्योगिक क्रांति’ से करते हुए इससे अप्रत्याशित परिणाम मिलने की भी बात कही थी।
प्रिंसटन विश्वविद्यालय के जॉन हॉपफील्ड ने भी एक बार प्रिंसटन समाचार सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि “एआई सर्वनाश कर सकता है”।
दोनों नोबेल पुरस्कार विजेता एआई द्वारा प्रस्तुत प्रौद्योगिकीय प्रगति के नए स्तर से उत्पन्न खतरों को उजागर कर चुके हैं।
हालांकि, हॉपफील्ड ने अपने एक वक्तव्य में कहा था कि तंत्रिका (न्यूरल) नेटवर्क ने “संघनित पदार्थ भौतिकी” से बहुत कुछ उधार लिया है।
हिंटन ने नोबेल पुरस्कार सेरेमनी में कहा था कि “जब भी मुझे किसी बात का उत्तर जानना होता है तो मैं जाकर जीपीटी-4 (दुनिया का जाना माना एआई टूल) से पूछ लेता हूं।”
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “मैं इस पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करता, क्योंकि इसके नतीजे भ्रम पैदा कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि “लगभग हर चीज में यह बहुत अच्छा विशेषज्ञ नहीं है, फिर भी यह बहुत उपयोगी है।”
–आईएएनएस
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