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एएमयू में वेदर बैलून लॉन्च, आपदा से पहले मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी

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July 11, 2024
in ताज़ा समाचार
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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

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एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

–आईएएनएस

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

–आईएएनएस

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

–आईएएनएस

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

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अलीगढ़, 11 जुलाई (आईएएनएस)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का जियोग्राफी विभाग इसरो के साथ मिलकर मौसम के पूर्वानुमान का काम कर रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को जियोग्राफी विभाग में एक कार्यक्रम के तहत इसरो के साथ मिलकर मौसम की पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए बैलून उड़ाया गया। इससे मौसम के बारे में आपदा आने से पहले मौसम की सटीक जानकारी मिल सकती है।

इससे यहां के 35 किलोमीटर के दायरे के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा और सभी को उसका फायदा मिलेगा। यह यूनिवर्सिटी के लिए गर्व का विषय है।

एएमयू की वीसी प्रोफेसर नईमा खातून ने फीता काटकर उद्घाटन करने के साथ मौसम को पूर्वानुमान लगाने के लिए बैलून उड़ाया। उन्होंने कहा कि अब टेक्नोलॉजी के युग में मौसम का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में वीसी खातून ने विभाग के शताब्दी वर्ष के दौरान इस उपलब्धि के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह एक ऐतिहासिक अवसर है और विभाग के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि। यह हमारे शोधकर्ताओं को जीपीएस-सहायता प्राप्त रेडियो साउंड का उपयोग करके तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और हवा के मापदंडों के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल को मापने में सुविधा प्रदान करेगा। विभिन्न सेंसर से लैस ये छोटे उपकरण उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय डेटा एकत्र करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व में मौसम के बारे में सटीक पूर्वानुमान नहीं लगने के कारण आंधी, तूफान आदि के दौरान काफी जनहानि सहित अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अब इस टेक्नोलॉजी के युग में इससे छुटकारा मिलेगा।

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