इंफाल, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पिछले कुछ महीनों में मणिपुर में हिंसा के दौरान अधिकारों के उल्लंघन के 18 मामले दर्ज किए हैं।
एनएचआरसी को आठ मामलों को छोड़कर सभी में मणिपुर सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) प्राप्त हो गई है। शेष मामलों में रिपोर्ट के लिए रिमाइंडर नोटिस भी जारी किए गए हैं।
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि केंद्र और मणिपुर सरकार से आगे की रिपोर्ट मांगी गई है। उनसे राज्य में शांति लाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में स्पष्ट रूप से बताने को कहा गया है।
रिपोर्ट में हिंसा प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास, भोजन, स्कूली शिक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के उपायों की भी मांग की गई है।
एनएचआरसी ने मणिपुर सरकार के एटीआर के हवाले से कहा कि राज्य में हिंसा की घटनाओं के संबंध में कई कदम उठाए गए हैं। जिनमें कानून-व्यवस्था मशीनरी और सुरक्षा को सुदृढ़ करना, राहत शिविर और एक शांति समिति की स्थापना, कर्फ्यू में ढील देना, इंटरनेट और बैंकिंग सेवाओं को नपे-तुले तरीके से बहाल करना, मृतकों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि घोषित करना, घायलों के लिए मुआवजा पैकेज, क्षतिग्रस्त घरों का पुनर्निर्माण करना शामिल है।
यह भी बताया गया है कि केंद्र ने संघर्ष के कारणों तक पहुंचने के लिए एक जांच आयोग का गठन किया है और छह एफआईआर स्वतंत्र रूप से जांच के लिए सीबीआई को हस्तांतरित कर दी गई हैं।
यह भी देखा गया है कि प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में राहत शिविर चल रहे हैं। पांच महीने पहले राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में कम से कम 180 लोग मारे गए, 1,120 अन्य घायल हुए और 32 लापता हैं। पुलिस के अनुसार, 4,786 घरों को आग लगा दी गई और 386 धार्मिक संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया या तोड़फोड़ की गई।
मणिपुर में जातीय संघर्ष के मद्देनजर विभिन्न समुदायों के लगभग 70,000 पुरुष, महिलाएं और बच्चे एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो गए हैं। अब वे मणिपुर के स्कूलों, सरकारी भवनों और सभागारों में स्थापित 350 शिविरों में शरण लिए हुए हैं। कई हजार लोगों ने मिजोरम सहित पड़ोसी राज्यों में शरण ली।
–आईएएनएस
एफजेड/एबीएम