नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। क्रिकेट मैचों में दर्शकों की भलाई को प्राथमिकता देने के लिए, मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) दोनों को एक पत्र लिखा है।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की एक रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि लाइव स्पोर्ट्स मैचों में दर्शकों द्वारा अनुभव किए जाने वाले एड्रेनालाईन रश, तनाव के स्तर और भावनात्मक उतार-चढ़ाव से हृदय संबंधी घटनाओं, मस्तिष्क स्ट्रोक और अन्य का खतरा काफी बढ़ सकता है।
अपने निष्कर्षों में वे दर्शक सुरक्षा प्रोटोकॉल के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में डिफाइब्रिलेटर और ईसीजी निगरानी जैसे जीवन-रक्षक चिकित्सा हस्तक्षेपों तक समय पर पहुंच के महत्व को रेखांकित करते हैं।
प्रस्तावित एकीकरण में उन्नत चिकित्सा निगरानी प्रणाली, आपातकालीन प्रतिक्रिया उपकरण और अन्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां शामिल हैं जो भीड़ में किसी भी स्वास्थ्य संबंधी घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकती हैं।
मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पवन चौधरी ने कहा, “खेल की भावना में हमारा मानना है कि सुरक्षा की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। आईसीसी और बीसीसीआई को हमारा प्रतिनिधित्व दर्शकों के पास चिकित्सा प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने, एक स्वस्थ और अधिक सुरक्षित क्रिकेट अनुभव सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करता है।
चौधरी के विचारों को जोड़ते हुए, नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के सीईओ और मुख्य कार्डियक सर्जन और ऑल इंडिया हार्ट फाउंडेशन के निदेशक डॉ. ओपी यादव ने कहा, “भारत की युवा आबादी में कार्डियक अरेस्ट की बढ़ती व्यापकता के कारण दर्शकों के पास जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरणों के एकीकरण की आवश्यकता है। इन उपकरणों की समय पर उपलब्धता एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है, जो संभावित रूप से संकट के क्षण को जीवन बचाने के अवसर में बदल सकता है।”
क्रिकेट परिषदों को एमटीएआई का पत्र प्रशंसक सुरक्षा के लिए एक नया मानक स्थापित करने के लिए चिकित्सा प्रौद्योगिकी उद्योग और क्रिकेट निकायों के बीच सहयोग पर जोर देता है।
–आईएएनएस
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