मुंबई, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने सोमवार को राज्यपाल रमेश बैस से मराठा आरक्षण के ज्वलंत मुद्दे और राज्य की अन्य समस्याओं पर चर्चा के लिए विधानमंडल का विशेष सत्र तत्काल बुलाने का आग्रह किया।
कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-सपा, शिवसेना-यूबीटी और अन्य पार्टियों के शीर्ष नेताओं के साथ प्रतिनिधिमंडल ने सूखे की स्थिति, किसानों की आत्महत्या, नशीली दवाओं के बढ़ते खतरे और राज्य में लड़कियों/महिलाओं के लापता होने जैसे अन्य मुद्दों पर राज्यपाल को विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने मीडिया से कहा कि मराठों और ओबीसी के लिए कोटा का मुद्दा विस्फोटक तरीके से सामने आया है, जिससे लोगों में सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा-एनसीपी-एपी गठबंधन के प्रति गुस्सा पैदा हो गया है।
उन्होंने चेतावनी दी कि जबकि ये समुदाय आरक्षण की मांग कर रहे हैं, सरकारी स्तर पर संतोषजनक काम नहीं किया जा रहा है और स्थिति इतनी अस्थिर हो गई है कि यह कभी भी भड़क सकती है।
पटोले बोले, “आज नेताओं के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्रों में घूमना मुश्किल हो गया है, कानून और व्यवस्था खतरे में है और मराठा समुदाय के युवा आत्महत्या कर रहे हैं। राज्यपाल राज्य और केंद्र के बीच की कड़ी हैं और उन्हें प्रधानमंत्री के समक्ष इस मामले को उठाना चाहिए। उन्हें मराठा नेता मनोज जारांगे-पाटिल को भी आश्वस्त करना चाहिए, क्योंकि उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से बिगड़ गया है।”
उन्होंने दोहराया कि यदि सरकार कोई सकारात्मक समाधान लेकर आती है, तो विपक्ष सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करने और सहयोग करने के लिए तैयार है, लेकिन तीन सत्तारूढ़ सहयोगी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं और यह जरूरी है कि वे सामूहिक निर्णय लें। मामला सर्वोच्च प्राथमिकता पर है।
प्रतिनिधिमंडल ने आग्रह किया, “चूंकि इस सरकार में लोग झूठ बोलने में माहिर हैं, इसलिए किसी को उन पर भरोसा नहीं है, इसलिए आरक्षण कानून के मसौदे को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और विधानमंडल के विशेष सत्र से पहले इस पर चर्चा की जानी चाहिए।”
पटोले के अलावा, प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार (कांग्रेस), परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे (शिवसेना-यूबीटी), बालासाहेब थोराट, अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, प्रोफेसर वर्षा गायकवाड़ जैसे अन्य नेता शामिल थे। एम. आरिफ नसीम खान, बसवराज पाटिल, प्रणीति शिंदे (सभी कांग्रेस), एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और सेना-यूबीटी के रवींद्र वायकर और सुनील प्रभु।
अन्य प्रमुख मुद्दे उठाते हुए एमवीए नेताओं ने कहा कि राज्य के कई हिस्सों में सूखे की स्थिति है, किसान संकट में हैं और कृषि उत्पादों के लिए कोई मूल्य व्यवस्था नहीं है।
सितंबर से कई जिलों में टैंकरों के जरिए पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है, राज्य के 36 में से 24 जिलों में कम बारिश के कारण खरीफ की फसलें खराब हो गई हैं और आगामी रबी सीजन के लिए संभावनाएं अच्छी नहीं हैं।
पटोले ने कहा, “किसानों का भविष्य अंधकारमय है, जबकि रोशनी का त्योहार बमुश्किल एक पखवाड़े दूर है… किसानों के हाथ खाली हैं और हम चाहते हैं कि राज्य सरकार सूखा घोषित करे और दिवाली से पहले किसानों को तत्काल सहायता प्रदान करे।” .
राज्य के कुछ हिस्सों में बरामद किए गए नशीले पदार्थों के बड़े भंडार का जिक्र करते हुए एमवीए ने कहा कि यह राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का संकेतक है।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा, “सरकार को ड्रग माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, आने वाली पीढ़ियों को जहर देने वाले रैकेट को नष्ट करना चाहिए… सरकार को राज्य में हजारों लड़कियों/महिलाओं के लापता होने के मामले पर भी ध्यान देना चाहिए, जो कानून और व्यवस्था से जुड़ा हुआ है।”
इन समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रशासन के पतन, बढ़ती बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को देखते हुए उन्होंने राज्यपाल से सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विधायिका का एक विशेष सत्र बुलाने का आह्वान किया।
–आईएएनएस
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