कोच्चि, 29 नवंबर (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें न्यायपालिका, विशेषकर उच्च न्यायालय में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उचित प्रतिनिधित्व की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता एससी समुदाय से संबंधित एक पूर्व वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने बताया है कि उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 40 पदों पर भी, एक भी न्यायाधीश अनुसूचित जाति या अन्य समान वंचित समुदायों से नहीं है।
याचिका में कहा गया है, “केरल उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति में भारत के संविधान के अनुच्छेद 38, 46 और 335 के आदेशों का पालन किया जाना आवश्यक है।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले पिछड़े वर्गों के एक संगठन द्वारा एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई और इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया।
हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि आरक्षण के सिद्धांत सीधे उच्च न्यायालयों और संवैधानिक पदों पर लागू नहीं हो सकते हैं, यह बताया गया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भी सुप्रीम कोर्ट की नियुक्तियों में विविध प्रतिनिधित्व की जरूरत पर टिप्पणी की थी।
अपनी दलील को मजबूत करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान की ओर इशारा किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सामाजिक न्याय को न्यायपालिका सहित सभी क्षेत्रों में लागू किया जाना चाहिए।
–आईएएनएस
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