नई दिल्ली, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोविड वैक्सीन से होने वाले ब्लड क्लॉट डिसऑर्डर को लेकर मंगलवार को डॉक्टरों ने कहा कि यह एस्ट्राजेनेका के कोविड वैक्सीन का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव है, और इसके लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं।
यह उन रिपोर्टों के बाद आया जिनमें कहा गया था कि एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में विकसित उसका टीका दुर्लभ और गंभीर ब्लड क्लॉट का खतरा पैदा कर सकता है।
भारत में कोविशील्ड और यूरोप में वैक्सजेवरिया के नाम से बेची जाने वाली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है जिसे संशोधित चिंपैंजी एडेनोवायरस का उपयोग कर विकसित किया गया है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के साथ साझेदारी में भारत में निर्मित और विपणन की जाने वाली कोविशील्ड को देश में लगभग 90 प्रतिशत भारतीय आबादी तक व्यापक रूप से प्रशासित किया गया था।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने आईएएनएस को बताया, ”थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक सिंड्रोम (टीटीएस) दुर्लभ लेकिन बहुत गंभीर प्रतिकूल प्रभावों में से एक है जो वैक्सीन-प्रेरित इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (वीआईटीटीपी) के हिस्से के रूप में हुआ है। यह घटना 50,000 में से एक के बराबर (0.002 प्रतिशत) रही है, लेकिन एक बड़ी आबादी में, यह संख्या काफी बड़ी हो जाती है।”
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने आईएएनएस को बताया, ”टीटीएस असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण उत्पन्न होने वाली एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। हालांकि इसके कई कारण हैं, इसे एडेनोवायरस वेक्टर टीकों से भी जोड़ा गया है और डब्ल्यूएचओ ने 27 मई 2021 को इसके बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।”
मामला क्या है?
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश स्वीडिश बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल कंपनी ने यूके के अदालती दस्तावेजों में पहली बार स्वीकार किया कि उसकी कोविड वैक्सीन दुर्लभ ब्लड क्लॉट डिसऑर्डर का खतरा पैदा कर सकती है।
फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी के खिलाफ यूके हाई कोर्ट में लगभग 51 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि उसके कोविड वैक्सीन के कारण मौत हुई और सीरियस इंजरी हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ितों और दुखी रिश्तेदारों ने मुआवजे की मांग की है, जिसकी कीमत 100 मिलियन पाउंड तक होने का अनुमान है।
हालांकि एस्ट्राजेनेका उन दावों का विरोध कर रही है, जिसमें कहा गया है कि फरवरी में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत एक कानूनी दस्तावेज में स्वीकार किया है कि इसका कोविड टीका बहुत ही दुर्लभ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकता है।
टीटीएस के कारण लोगों में रक्त के थक्के जम जाते हैं और रक्त में प्लेटलेट की संख्या कम हो जाती है।
एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन और टीटीएस से लिंक?
भारत में कोविड वैक्सीन प्राप्त करने वाले लगभग 90 प्रतिशत लोगों को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन प्राप्त हुई, जिसे भारत में कोविशील्ड कहा जाता है। यह एक हानिरहित शीत विषाणु से बनता है जो चिंपैंजी एडेनोवायरस पर आधारित है।
पीपुल्स हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन-इंडिया मुंबई के महासचिव डॉ. ईश्वर ने कहा,”एक बार जब इस वायरस को आनुवंशिक रूप से संशोधित या इंजीनियर किया जाता है ताकि यह सार्स -सीओवी-2 से मेल खा सके जो कि कोविड-19 का कारक है, तो यह स्पाइक प्रोटीन पर काम करता है। इसलिए वैक्सीन को एस स्पाइक प्रोटीन आनुवंशिक अनुक्रम के साथ शामिल किया गया है।”
डॉक्टर ने कहा, ”संभावित टीटीएस जोखिम के तंत्र को समझाते हुए उन्होंने कहा कि वैक्सीन को बांह में इंजेक्ट किया जाता है जो डेल्टॉइड मांसपेशी में होती है। हालांकि कभी-कभी यह मांसपेशियों में जाने के बजाय रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर जाता है। एक बार जब यह रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाता है तो टीकों में मौजूद एडेनोवायरस रक्त में प्लेटलेट फैक्टर 4 (पीएफ4) नामक एक प्रकार के प्रोटीन के साथ एक विशेष आकर्षण के साथ एक चुंबक की तरह काम करता है।”
जबकि पीएफ4 का उपयोग आमतौर पर शरीर द्वारा दुर्लभ मामलों में रक्त में जमाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसे एक विदेशी शरीर या विदेशी आक्रमणकारी के रूप में भ्रमित करती है और फिर इस पर हमला करने के लिए एंटीबॉडी जारी करती है जिसे गलत पहचान कहा जाता है।
डॉक्टर ने कहा, ”यह सिद्धांत दिया गया है कि ऐसे एंटीबॉडी तब प्रतिक्रिया करते हैं और पीएफ4 के साथ मिलकर रक्त के थक्के बनाते हैं जो वैक्सीन के साथ बहुत अधिक जुड़े हुए हैं। मस्तिष्क और हृदय में ऐसे थक्के विनाशकारी प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकते हैं।”
क्या कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले सभी लोगों को चिंतित होना चाहिए?
डॉ. ईश्वर ने कहा, “नहीं, हमें इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसा बहुत कम लोगों के साथ हुआ है।”
उन्होंने कहा, ”कठिनाई उन जटिलताओं के बीच अंतर करना है जो स्वयं कोविड या लॉन्ग-कोविड या वैक्सीन के कारण होती हैं। यह वैज्ञानिक समुदाय और कानूनी बिरादरी के लिए बहस का विषय बना हुआ है।”
डॉ. राजीव ने कहा, ”महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन लोगों को टीका लगाया गया है, उनमें कोविड से मृत्यु के साथ-साथ पोस्ट कोविड दिल के दौरे और उसके बाद स्ट्रोक जैसी जटिलताओं का जोखिम कम होता है।”
उन्होंने आगे कहा, ”हालांकि टीकों के अत्यंत दुर्लभ गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं, लेकिन लाभ जोखिमों से कहीं अधिक होते हैं। कोविड टीकों ने लाखों लोगों को मरने से रोका है।”
–आईएएनएस
एमकेएस/एसकेपी