टोरंटो, 18 जून (आईएएनएस)। कनाडा के अधिकारियों ने जाली दाखिला पत्र के साथ स्टूडेंट वीजा पर यहां आने वाले 700 भारतीयों का निर्वासन फिलहाल रद्द कर दिया है, लेकिन उनके भाग्य पर अंतिम फैसला आव्रजन जांच पूरी होने के बाद ही होगा।
कनाडा के अप्रवासी मंत्री सीन फ्रेजर ने, जिन्होंने जांच के लिए एक कार्यबल का गठन किया है, वादा किया कि धोखाधड़ी में शामिल नहीं पाए जाने वालों को निर्वासित नहीं किया जाएगा।
कनाडा में लगभग 3,20,000 भारतीय छात्रों में से अधिकांश पंजाब के हैं। निर्वासन का सामना कर रहे छात्र भी पंजाब के हैं।
इनमें से कई छात्र 2017 से कनाडा में हैं और कुछ ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, इसका मतलब है कि पिछले कुछ समय से जाली पत्रों के माध्यम से प्रवेश हो रहे हैं।
इन छात्रों के निर्वासन को रद्द करने का आदेश छात्र लवप्रीत सिंह द्वारा 13 जून को अपने निर्वासन को रोकने में कामयाब होने के बाद आया है। उनके निर्वासन को रोकने का आदेश आने से पहले वह कई अन्य छात्रों के साथ यहां 17 दिन तक धरने पर बैठे थे।
इस घोटाले की जड़ें पंजाब में हैं जहां कनाडा जाने का जुनून छात्रों और उनके माता-पिता को संदिग्ध अप्रवासन एजेंटों का आसान शिकार बनाती है।
इस घोटाले की जड़ें एक/दो कमरों वाले निजी कॉलेजों में भी हैं, जो पिछले कुछ वर्षों में कनाडा के प्रमुख शहरों में तेजी से पनपे हैं। इनमें से ज्यादातर कॉलेज बिजनेस मैनेजमेंट, हॉस्पिटैलिटी, आईटी, हेल्थकेयर, सोशल सर्विसेज में कोर्स ऑफर करते हैं।
टोरंटो क्षेत्र में एक निजी कॉलेज के भारतीय मूल के मालिक कहते हैं, प्रांतीय पंजीकरण प्राप्त करने के बाद कनाडा में एक निजी कॉलेज शुरू करना बहुत आसान है। निजी कॉलेज जल्दी पैसा बनाने का एक साधन बन गए हैं क्योंकि वे सार्वजनिक कॉलेजों की तुलना में चार गुना अधिक फीस लेते हैं। पंजाबी छात्र ज्यादातर इन निजी कॉलेजों में पढ़ते हैं क्योंकि इनमें कुछ ही कनाडाई छात्र जाते हैं।
ब्रैम्पटन स्थित नौजवान सपोर्ट नेटवर्क के बिक्रमजीत सिंह कुल्लेवाल कहते हैं, पंजाब में स्थित प्रवेश एजेंटों ने छात्रों को लाने के लिए कनाडाई निजी कॉलेजों के साथ करार किया है। ये कॉलेज प्रवेश पत्र जारी करते हैं, जिसके आधार पर भारत में अध्ययन वीजा जारी किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से पंजाब में दाखिले के लिए दीवानगी के कारण आव्रजन एजेंटों ने इन छात्रों के लिए जाली प्रवेश पत्र बनाए।
वह कहते हैं, या हो सकता है कि ये एजेंट किसी विशेष कॉलेज में आवश्यक सीटों की संख्या से अधिक प्रवेश पत्र प्राप्त करने में कामयाब रहे हों। उन्होंने कहा कि यह भारत में एजेंटों द्वारा कनाडा के निजी कॉलेजों में लोगों को रिश्वत दिए जाने की ओर इशारा कररता है।
जब छात्र कनाडा पहुंचे और अपने कॉलेजों में गए तो उन्हें पता चला कि उनके प्रवेश पत्र फर्जी थे, लेकिन वे चुप रहे क्योंकि वे अपने अप्रवासन का अवसर नहीं खोना चाहते थे।
ब्रैम्टन स्थित भारतीय-कनाडाई समुदाय के एक कार्यकर्ता पूछते हैं, चूंकि कनाडाई अध्ययन वीजा आपको कॉलेज बदलने की इजाजत देता है, इसलिए इनमें से कई छात्रों ने अपने कॉलेजों (जिसके लिए उन्होंने भारत से आवेदन किया था) द्वारा यह कहने के बाद कि वे उनके रोल पर नहीं हैं और उनका प्रवेश पत्र फर्जी है, यह रास्ता अपनाया। इन छात्रों ने ऐसा क्यों किया। उनके जाली प्रवेश पत्रों के बारे में चुप क्यों रहें?
फर्जी प्रवेश पत्रों का मामला तब सामने आया जब छात्रों ने स्टडी परमिट या स्थायी निवास (पीआर) के विस्तार के लिए आवेदन किया।
तभी कैनेडियन बॉर्डर सर्विसेज एजेंसी (सीबीएसए) ने उन्हें बताया कि उन्होंने जाली प्रवेश पत्रों पर धोखाधड़ी करके कनाडा के कॉलेजों में प्रवेश किया है।
बिक्रमजीत सिंह कुल्लेवाल का कहना है कि उनके नौजवान सपोर्ट नेटवर्क ने सभी राजनीतिक दलों को लिखा है कि वे न केवल भारत और यहां के निजी कॉलेजों में आव्रजन एजेंटों की भूमिका की जांच करें, बल्कि आव्रजन अधिकारियों की भी जांच करें।
वह पूछते हैं, कनाडा के हवाई अड्डों पर उतरने पर इन छात्रों के प्रवेश पत्रों को आव्रजन अधिकारियों द्वारा ठीक से क्यों नहीं देखा गया?
ऐसी भी खबरें हैं कि कुछ छात्र जो जाली प्रवेश पत्र पर यहां आते हैं, वे अपने कॉलेजों में प्रवेश ही नहीं लेते हैं।
नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय पंजाबी पत्रकार कहते हैं, इसकी बजाय, उन्होंने विदेशी कामगारों के रूप में काम करने के योग्य बनने के लिए हमारी स्थानीय ट्रकिंग कंपनियों को एलएमआईए (श्रम बाजार प्रभाव आकलन) दस्तावेज प्राप्त करने के लिए रिश्वत दी। यह प्रथा हमारे समुदाय में व्याप्त है।
कनाडा के आव्रजन मंत्री शायद इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई का संकेत दे रहे थे, जिन्होंने कनाडा आने के लिए जाली दस्तावेजों पर स्टडी वीजा का फायदा उठाया होगा।
कुल्लेवाल कहते हैं, यह एक जटिल मामला है। एजेंटों ने वास्तविक छात्रों को ठगा है और हम उनके लिए लड़ेंगे।
–आईएएनएस
एकेजे