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Home ताज़ा समाचार

कर्नाटक में आईटी सेक्टर में कर्मचारियों के ड्यूटी आवर्स बढ़ाने के प्रस्ताव पर मंत्री ने कहा, इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं

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July 22, 2024
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बेंगलुरु, 22 जुलाई (आईएएनएस)। आईटी सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों के ड्यूटी आवर्स को बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर आलोचनाओं से घिरी कर्नाटक सरकार का बचाव करते हुए श्रम मंत्री संतोष लाड का बयान सामने आया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस प्रस्ताव से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। यह प्रस्ताव आईटी सेक्टर में कार्यरत दिग्गजों द्वारा प्रस्तावित किया गया है। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

इस बीच, संतोष लाड ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ना महज अपनी सरकार का बचाव किया, बल्कि पीएम मोदी और बीजेपी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सबसे पहले आप यह समझिए कि यह प्रस्ताव हमारी सरकार द्वारा नहीं, बल्कि आईटी इंडस्ट्री के क्षेत्र में कार्यरत दिग्गजों द्वारा लगाया गया है। इस बिल को लाने में हमारी कोई भूमिका नहीं है। अगर किसी को लगता है कि इस बिल को लाने में हमारी सरकार की भूमिका है, तो मैं आपको बता दूं कि यह उनकी गलतफहमी है, लिहाजा वो अपनी इस गलतफहमी को जितनी जल्दी हो सके, दूर कर लें।”

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सरकार के साथ उपभोक्ता को चूना लगा रहे सुपारी व्यवसायी

उन्होंने आगे कहा, “यह बिल हमारे पास आ चुका है, तो मैं चाहता हूं कि आईटी इंडस्ट्री के जितने भी दिग्गज हैं। वो इस पर खुलकर चर्चा करें और इस बात पर खुलकर विचार करें कि क्या यह कदम उचित रहेगा? अब यह बिल लोगों के बीच आ चुका हूं, तो मैं चाहता हूं कि आप लोग इस पर खुलकर चर्चा करें, ताकि जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके, लेकिन जिन लोगों को भी ऐसा लगता है कि इस बिल को लाने में सरकार की भूमिका है, तो मैं एक बार फिर से इस बात को दोहराना चाहता हूं कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”

बता दें कि आईटी इंडस्ट्री की ओर से एक बिल सरकार के पास भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि इस क्षेत्र में कार्यकर्ता कर्मचारियों के ड्यूटी आवर को आठ से बढ़ाकर 10 से 12 घंटे कर दिया जाए।

वहीं, मंत्री से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि अगर इस बिल को लाया गया, तो इससे आईटी क्षेत्र में कर्मचारियों के सामाजिक और स्वास्थ्य जीवन पर नकारात्मक असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, “इसलिए मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द आईटी क्षेत्र के जितने भी दिग्गज हैं, वो वार्ता की मेज पर आएं और सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखें, ताकि हम कोई ऐसा फैसला ले सकें, जिसमें सभी का हित समाहित हो, लेकिन मुझे समझ में आ रहा है कि वो लोग इस पर खुलकर चर्चा करने से बच रहे हैं। इसके विपरीत ये लोग सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि हम इसे लागू करें, लेकिन मुझे लगता है कि यह अच्छा हुआ कि अब यह बिल पब्लिक डोमेन में आ चुका है, जिस पर लोग खुलकर चर्चा करना चाहते हैं।”

इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह आज के समय का दुर्भाग्य है कि केंद्र की मोदी सरकार भारत के संविधान को भूल चुकी है। यह सरकार जनता के हितों को ताक पर रखते हुए संविधान की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। लेकिन यह समझ पाना मुश्किल है कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रही है, मगर मैं एक बात आप लोगों के माध्यम से केंद्र सरकार से कहना चाहता हूं कि वो संविधान की अस्मिता पर प्रहार करना बंद करें। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे, तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब उनको जनता के कोप का शिकार होना पड़ेगा।”

बता दें कि हाल ही में कर्नाटक में निजी नौकरियों में कन्नड लोगों को आरक्षण देने के मकसद से बिल लाया गया था। इसमें कन्नड भाषियों को 50 से 100 फीसद आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त किया गया था, लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। वहीं राज्य सरकार को अपने इस कदम को लेकर भारी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।

–आईएएनएस

एसएचके/एसकेपी

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बेंगलुरु, 22 जुलाई (आईएएनएस)। आईटी सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों के ड्यूटी आवर्स को बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर आलोचनाओं से घिरी कर्नाटक सरकार का बचाव करते हुए श्रम मंत्री संतोष लाड का बयान सामने आया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस प्रस्ताव से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। यह प्रस्ताव आईटी सेक्टर में कार्यरत दिग्गजों द्वारा प्रस्तावित किया गया है। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

इस बीच, संतोष लाड ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ना महज अपनी सरकार का बचाव किया, बल्कि पीएम मोदी और बीजेपी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सबसे पहले आप यह समझिए कि यह प्रस्ताव हमारी सरकार द्वारा नहीं, बल्कि आईटी इंडस्ट्री के क्षेत्र में कार्यरत दिग्गजों द्वारा लगाया गया है। इस बिल को लाने में हमारी कोई भूमिका नहीं है। अगर किसी को लगता है कि इस बिल को लाने में हमारी सरकार की भूमिका है, तो मैं आपको बता दूं कि यह उनकी गलतफहमी है, लिहाजा वो अपनी इस गलतफहमी को जितनी जल्दी हो सके, दूर कर लें।”

उन्होंने आगे कहा, “यह बिल हमारे पास आ चुका है, तो मैं चाहता हूं कि आईटी इंडस्ट्री के जितने भी दिग्गज हैं। वो इस पर खुलकर चर्चा करें और इस बात पर खुलकर विचार करें कि क्या यह कदम उचित रहेगा? अब यह बिल लोगों के बीच आ चुका हूं, तो मैं चाहता हूं कि आप लोग इस पर खुलकर चर्चा करें, ताकि जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके, लेकिन जिन लोगों को भी ऐसा लगता है कि इस बिल को लाने में सरकार की भूमिका है, तो मैं एक बार फिर से इस बात को दोहराना चाहता हूं कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”

बता दें कि आईटी इंडस्ट्री की ओर से एक बिल सरकार के पास भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि इस क्षेत्र में कार्यकर्ता कर्मचारियों के ड्यूटी आवर को आठ से बढ़ाकर 10 से 12 घंटे कर दिया जाए।

वहीं, मंत्री से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि अगर इस बिल को लाया गया, तो इससे आईटी क्षेत्र में कर्मचारियों के सामाजिक और स्वास्थ्य जीवन पर नकारात्मक असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, “इसलिए मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द आईटी क्षेत्र के जितने भी दिग्गज हैं, वो वार्ता की मेज पर आएं और सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखें, ताकि हम कोई ऐसा फैसला ले सकें, जिसमें सभी का हित समाहित हो, लेकिन मुझे समझ में आ रहा है कि वो लोग इस पर खुलकर चर्चा करने से बच रहे हैं। इसके विपरीत ये लोग सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि हम इसे लागू करें, लेकिन मुझे लगता है कि यह अच्छा हुआ कि अब यह बिल पब्लिक डोमेन में आ चुका है, जिस पर लोग खुलकर चर्चा करना चाहते हैं।”

इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह आज के समय का दुर्भाग्य है कि केंद्र की मोदी सरकार भारत के संविधान को भूल चुकी है। यह सरकार जनता के हितों को ताक पर रखते हुए संविधान की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। लेकिन यह समझ पाना मुश्किल है कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रही है, मगर मैं एक बात आप लोगों के माध्यम से केंद्र सरकार से कहना चाहता हूं कि वो संविधान की अस्मिता पर प्रहार करना बंद करें। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे, तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब उनको जनता के कोप का शिकार होना पड़ेगा।”

बता दें कि हाल ही में कर्नाटक में निजी नौकरियों में कन्नड लोगों को आरक्षण देने के मकसद से बिल लाया गया था। इसमें कन्नड भाषियों को 50 से 100 फीसद आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त किया गया था, लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। वहीं राज्य सरकार को अपने इस कदम को लेकर भारी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।

–आईएएनएस

एसएचके/एसकेपी

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बेंगलुरु, 22 जुलाई (आईएएनएस)। आईटी सेक्टर में कार्यरत कर्मचारियों के ड्यूटी आवर्स को बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर आलोचनाओं से घिरी कर्नाटक सरकार का बचाव करते हुए श्रम मंत्री संतोष लाड का बयान सामने आया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस प्रस्ताव से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। यह प्रस्ताव आईटी सेक्टर में कार्यरत दिग्गजों द्वारा प्रस्तावित किया गया है। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

इस बीच, संतोष लाड ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ना महज अपनी सरकार का बचाव किया, बल्कि पीएम मोदी और बीजेपी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सबसे पहले आप यह समझिए कि यह प्रस्ताव हमारी सरकार द्वारा नहीं, बल्कि आईटी इंडस्ट्री के क्षेत्र में कार्यरत दिग्गजों द्वारा लगाया गया है। इस बिल को लाने में हमारी कोई भूमिका नहीं है। अगर किसी को लगता है कि इस बिल को लाने में हमारी सरकार की भूमिका है, तो मैं आपको बता दूं कि यह उनकी गलतफहमी है, लिहाजा वो अपनी इस गलतफहमी को जितनी जल्दी हो सके, दूर कर लें।”

उन्होंने आगे कहा, “यह बिल हमारे पास आ चुका है, तो मैं चाहता हूं कि आईटी इंडस्ट्री के जितने भी दिग्गज हैं। वो इस पर खुलकर चर्चा करें और इस बात पर खुलकर विचार करें कि क्या यह कदम उचित रहेगा? अब यह बिल लोगों के बीच आ चुका हूं, तो मैं चाहता हूं कि आप लोग इस पर खुलकर चर्चा करें, ताकि जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके, लेकिन जिन लोगों को भी ऐसा लगता है कि इस बिल को लाने में सरकार की भूमिका है, तो मैं एक बार फिर से इस बात को दोहराना चाहता हूं कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”

बता दें कि आईटी इंडस्ट्री की ओर से एक बिल सरकार के पास भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि इस क्षेत्र में कार्यकर्ता कर्मचारियों के ड्यूटी आवर को आठ से बढ़ाकर 10 से 12 घंटे कर दिया जाए।

वहीं, मंत्री से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि अगर इस बिल को लाया गया, तो इससे आईटी क्षेत्र में कर्मचारियों के सामाजिक और स्वास्थ्य जीवन पर नकारात्मक असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, “इसलिए मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द आईटी क्षेत्र के जितने भी दिग्गज हैं, वो वार्ता की मेज पर आएं और सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखें, ताकि हम कोई ऐसा फैसला ले सकें, जिसमें सभी का हित समाहित हो, लेकिन मुझे समझ में आ रहा है कि वो लोग इस पर खुलकर चर्चा करने से बच रहे हैं। इसके विपरीत ये लोग सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि हम इसे लागू करें, लेकिन मुझे लगता है कि यह अच्छा हुआ कि अब यह बिल पब्लिक डोमेन में आ चुका है, जिस पर लोग खुलकर चर्चा करना चाहते हैं।”

इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह आज के समय का दुर्भाग्य है कि केंद्र की मोदी सरकार भारत के संविधान को भूल चुकी है। यह सरकार जनता के हितों को ताक पर रखते हुए संविधान की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। लेकिन यह समझ पाना मुश्किल है कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रही है, मगर मैं एक बात आप लोगों के माध्यम से केंद्र सरकार से कहना चाहता हूं कि वो संविधान की अस्मिता पर प्रहार करना बंद करें। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे, तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब उनको जनता के कोप का शिकार होना पड़ेगा।”

बता दें कि हाल ही में कर्नाटक में निजी नौकरियों में कन्नड लोगों को आरक्षण देने के मकसद से बिल लाया गया था। इसमें कन्नड भाषियों को 50 से 100 फीसद आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त किया गया था, लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। वहीं राज्य सरकार को अपने इस कदम को लेकर भारी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।

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इस बीच, संतोष लाड ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान ना महज अपनी सरकार का बचाव किया, बल्कि पीएम मोदी और बीजेपी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “सबसे पहले आप यह समझिए कि यह प्रस्ताव हमारी सरकार द्वारा नहीं, बल्कि आईटी इंडस्ट्री के क्षेत्र में कार्यरत दिग्गजों द्वारा लगाया गया है। इस बिल को लाने में हमारी कोई भूमिका नहीं है। अगर किसी को लगता है कि इस बिल को लाने में हमारी सरकार की भूमिका है, तो मैं आपको बता दूं कि यह उनकी गलतफहमी है, लिहाजा वो अपनी इस गलतफहमी को जितनी जल्दी हो सके, दूर कर लें।”

उन्होंने आगे कहा, “यह बिल हमारे पास आ चुका है, तो मैं चाहता हूं कि आईटी इंडस्ट्री के जितने भी दिग्गज हैं। वो इस पर खुलकर चर्चा करें और इस बात पर खुलकर विचार करें कि क्या यह कदम उचित रहेगा? अब यह बिल लोगों के बीच आ चुका हूं, तो मैं चाहता हूं कि आप लोग इस पर खुलकर चर्चा करें, ताकि जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके, लेकिन जिन लोगों को भी ऐसा लगता है कि इस बिल को लाने में सरकार की भूमिका है, तो मैं एक बार फिर से इस बात को दोहराना चाहता हूं कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।”

बता दें कि आईटी इंडस्ट्री की ओर से एक बिल सरकार के पास भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि इस क्षेत्र में कार्यकर्ता कर्मचारियों के ड्यूटी आवर को आठ से बढ़ाकर 10 से 12 घंटे कर दिया जाए।

वहीं, मंत्री से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि अगर इस बिल को लाया गया, तो इससे आईटी क्षेत्र में कर्मचारियों के सामाजिक और स्वास्थ्य जीवन पर नकारात्मक असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, “इसलिए मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द आईटी क्षेत्र के जितने भी दिग्गज हैं, वो वार्ता की मेज पर आएं और सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखें, ताकि हम कोई ऐसा फैसला ले सकें, जिसमें सभी का हित समाहित हो, लेकिन मुझे समझ में आ रहा है कि वो लोग इस पर खुलकर चर्चा करने से बच रहे हैं। इसके विपरीत ये लोग सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि हम इसे लागू करें, लेकिन मुझे लगता है कि यह अच्छा हुआ कि अब यह बिल पब्लिक डोमेन में आ चुका है, जिस पर लोग खुलकर चर्चा करना चाहते हैं।”

इसके अलावा, उन्होंने इस मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह आज के समय का दुर्भाग्य है कि केंद्र की मोदी सरकार भारत के संविधान को भूल चुकी है। यह सरकार जनता के हितों को ताक पर रखते हुए संविधान की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। लेकिन यह समझ पाना मुश्किल है कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रही है, मगर मैं एक बात आप लोगों के माध्यम से केंद्र सरकार से कहना चाहता हूं कि वो संविधान की अस्मिता पर प्रहार करना बंद करें। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे, तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब उनको जनता के कोप का शिकार होना पड़ेगा।”

बता दें कि हाल ही में कर्नाटक में निजी नौकरियों में कन्नड लोगों को आरक्षण देने के मकसद से बिल लाया गया था। इसमें कन्नड भाषियों को 50 से 100 फीसद आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त किया गया था, लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। वहीं राज्य सरकार को अपने इस कदम को लेकर भारी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है।

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