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Home ताज़ा समाचार

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र भर्ती करने पर मांगी रिपोर्ट

by
June 2, 2023
in ताज़ा समाचार
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र भर्ती करने पर मांगी रिपोर्ट
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कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से वर्तमान में विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र नौकरी पर रखने के बारे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दौरान इन मामलों का पता चला था।

सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

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उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

–आईएएनएस

एकेजे

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कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से वर्तमान में विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र नौकरी पर रखने के बारे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दौरान इन मामलों का पता चला था।

सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

–आईएएनएस

एकेजे

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कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से वर्तमान में विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र नौकरी पर रखने के बारे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दौरान इन मामलों का पता चला था।

सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

–आईएएनएस

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

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राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

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इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

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राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

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राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

–आईएएनएस

एकेजे

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कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से वर्तमान में विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र नौकरी पर रखने के बारे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दौरान इन मामलों का पता चला था।

सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से वर्तमान में विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र नौकरी पर रखने के बारे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दौरान इन मामलों का पता चला था।

सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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कोलकाता, 2 जून (आईएएनएस)। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से वर्तमान में विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे 67 माध्यमिक शिक्षकों को बिना नियुक्ति पत्र नौकरी पर रखने के बारे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सीबीआई को स्कूल भर्ती घोटाले की जांच के दौरान इन मामलों का पता चला था।

सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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सीबीआई ने शुक्रवार को उन 67 शिक्षकों की सूची अदालत में पेश की, जिनके नियुक्ति पत्र अभी भी डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय में पड़े हुए हैं। इस पर हैरानी जताते हुए न्यायमूर्ति बसु ने कहा कि सीबीआई के खुलासे कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में एक नया अध्याय खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा, सीबीआई को मामले में अपने रुख के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए।

इसके बाद, उन्होंने डब्ल्यूबीबीएसई को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस गिनती पर एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश करे।

इस बीच, डब्ल्यूबीबीएसई और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2020 में की गई नियुक्तियों के लिए सिफारिशों की संख्या पर विरोधाभासी आंकड़े अदालत में प्रस्तुत किए गए थे। डब्ल्यूबीएसएससी ने 186 के आंकड़े उद्धृत किए जबकि डब्ल्यूबीबीएसई ने 175 का आंकड़ा बताया। डब्ल्यूबीबीएसई कार्यालय से 52 व्यक्तियों के अनुशंसा पत्र से संबंधित दस्तावेज गायब हैं।

डब्ल्यूबीबीएसई और डब्ल्यूबीएसएससी दोनों के कई पूर्व शीर्ष अधिकारी करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।

राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी भी इसी मामले में 300 दिनों से अधिक समय से सलाखों के पीछे हैं।

सीबीआई इस सिलसिले में डब्ल्यूबीएसएससी और डब्ल्यूबीबीएसई दोनों के कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। ऐसे में बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी मिलने का मामला निश्चित तौर पर जांचकर्ताओं के लिए नया पहलू खोलेगा।

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