नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि 2014 से पहले और उसके बाद देश में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के विजन को कितना लागू किया गया है। 2014 से पहले क्या स्थिति थी और उसके बाद कितना अंतर आया है।
इस सवाल के जवाब में उन्होंने आईएएनएस से कहा कि किसी भी सरकार के कामकाज की समीक्षा पांच साल में होती है और फिर वे जनता के बीच जाते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में इतना काम हुआ है कि हम अपने काम के आधार पर जनता का आशीर्वाद लेते हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी हमारे काम को देखकर डर गई है। अगर वे काम के नाम पर लड़ेंगे, तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलेगी। इसलिए उन्होंने बाबा साहब के नाम का गलत फायदा उठाया और संविधान बदलने जैसी झूठी बातें कहकर लोगों को गुमराह किया।
उन्होंने कहा। “मैं कहना चाहता हूं कि यह पीएम मोदी ही हैं जिन्होंने बाबा साहब अंबेडकर के कार्यों को मान्यता दी है। पीएम मोदी ने सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा करने का काम किया है। कांग्रेस पार्टी ने लगातार संविधान पर हमला किया और 1975 में उन्होंने संविधान की हत्या कर दी। आज राहुल गांधी जैसे लोग, जो संविधान में विश्वास नहीं करते, विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत कर भारत विरोधी लोगों के जाल में फंस गए हैं और फिर भारत को नुकसान पहुंचाने वाली बातें करते हैं।”
उन्होंने कहा, “वे पीएम मोदी और हमारी सरकार को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। मैं इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराता हूं और कहना चाहता हूं कि अगर कोई संविधान की रक्षा कर सकता है, तो वह केवल पीएम मोदी हैं और अगर कोई लोगों को संविधान सिखा सकता है, तो वह केवल पीएम मोदी हैं। जब कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी संविधान की बात करते हैं। तो एक तरह से वे संविधान का मजाक उड़ाते हैं और बाबा साहब का अपमान भी करते हैं।”
नेहरू और कांग्रेस बाबा साहेब को क्यों हराना चाहते थे? उन्हें किस बात का डर था? इस सवाल का जवाब देते हुए किरण रिजिजू ने कहा कि 1946 में अंतरिम सरकार बनी और बाबा साहब उस दौरान मंत्री बने, 1947 के बाद जब स्वतंत्र भारत में सरकार बननी थी, तो जवाहर लाल नेहरू ने अंबेडकर का नाम कैबिनेट में शामिल नहीं किया। तब महात्मा गांधी ने नेहरू से कहा कि ये आपकी सरकार नहीं है। ये आपका कैबिनेट नहीं, बल्कि देश की कैबिनेट है, इसलिए बाबा साहेब अंबेडकर को कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए और बाद में उनका नाम कैबिनेट में शामिल किया गया। बाबा साहेब पहली बार देश के कानून मंत्री बने, लेकिन पंडित नेहरू ने लगातार उनका बहुत अपमान किया और उन्हें कैबिनेट कमेटी में जगह नहीं दी।
–आईएएनएस
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