नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। भारत सहित पूरी दुनिया भीषण गर्मी, घातक चक्रवात और मानसून की कमी के कारण सूखे के जोखिम से जूझ रही है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि समुद्र के गर्म होने की घटना एल नीनो अब आधिकारिक तौर पर आ गया है।
यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के अनुसार, एल नीनो तापमान में नए रिकॉर्ड बना सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले से ही एल नीनो के दौरान औसत से अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।
स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, एल नीनो आम तौर पर हर दो से सात साल में होता है और इसमें मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास समुद्र की सतह औसत से ज्यादा गर्म हो जाती है।
अंतिम एल नीनो घटना फरवरी और अगस्त 2019 के बीच हुई थी लेकिन इसके प्रभाव कुछ ज्यादा नहीं हुए थे।
एनओएए के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर के एक भौतिक विज्ञानी मिशेल एल हेयुरेक्स ने कहा, अल नीनो कई तरह के प्रभाव पैदा कर सकता है, जैसे कि दुनिया भर के कुछ स्थानों में भारी बारिश और सूखे के जोखिम को बढ़ाना।
उन्होंने कहा, एल नीनो तापमान के लिए नए रिकॉर्ड बना सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो पहले से ही एल नीनो के दौरान औसत से अधिक तापमान का अनुभव करते हैं।
पिछले महीने, एल नीनो से पहले की घटना केल्विन तरंगें भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण अमेरिका के तट की ओर बढ़ी।
नासा के अनुसार, देखा गया कि केल्विन तरंगें – जो समुद्र की सतह पर लगभग 2 से 4 इंच (5 से 10 सेंटीमीटर) ऊंची और सैकड़ों मील चौड़ी हैं – पश्चिम से पूर्व की ओर भूमध्य रेखा के साथ दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर चली हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष एल नीनो के आने से वैश्विक तापमान कितना तक जाएगा, इसके बारे में कुछ पता नहीं है। साथ ही यह अगले पांच वर्षों के भीतर ग्लोबल वामिर्ंग 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने में अपना योगदान दे सकता है, जिससे विनाशकारी जलवायु परिवर्तन हो सकता है।
दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जोश विलिस ने कहा, हम इस एल नीनो की घटना को बाज की तरह देख रहे हैं।
विलिस ने कहा, अगर यह बड़ा है, तो दुनिया रिकॉर्ड वामिर्ंग देखेगी, लेकिन दक्षिण-पश्चिम अमेरिका में सर्दी के मौसम के दौरान बारिश देख सकते हैं।
वैश्विक तापमान इस महीने रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है, जो कि एल नीनो से पहले एक अशुभ संकेत है। यह संभावित रूप से 2023 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष बना सकता है।
एल नीनो घटना के कारण अत्यधिक गर्म मौसम के कारण इंडोनेशिया में 8,70,000 हेक्टेयर कृषि भूमि में सूखा पड़ा और फसल पूरी तरह नष्ट होने का अनुमान है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में एल नीनो के चलते मानसून के आने में देरी हुई। हालांकि चक्रवात बिपोरजॉय ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
स्काईमेट के एक अधिकारी ने कहा, अप्रैल 2023 में, एक एल नीनो वॉच जारी किया गया था, जो एल नीनो सदर्न ओशिलेशन घटना की शुरूआत का संकेत देता है। तब से, सभी सूचकांक सकारात्मक-तटस्थ बने हुए हैं। भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर का आधा हिस्सा अभी भी सीमा रेखा पर है, जबकि पूर्वी भाग लगातार वामिर्ंग प्रदर्शित कर रहा है।
–आईएएनएस
एसकेपी