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Home ताज़ा समाचार

कुर्सी खाली रखना चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा, भारतीय लोकतंत्र का मजाक : केसी त्यागी

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September 23, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

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वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

–आईएएनएस

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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नई दिल्ली, 23 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला लिया है। जिस कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है। इसके बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है।

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

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वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री मुख्‍यमंत्री के ल‍िए न‍िर्धारि‍त कुसी पर ना बैठा हो। यह चापलूसी और चाटुकारि‍ता की चरम सीमा है।

वहीं बसपा पर हमला बोलते हुए केसी त्यागी ने कहा, मायावती को बुरे दिनों में भी दलितों की याद नहीं आती। एक दौर था, जब कांशीराम के नेतृत्व में समूचे देश का वंचित व दलित समाज बहुजन समाज पार्टी की तरफ आशा भरी नजरों से देखता था। लेकिन एक दशक में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने अपना समर्थन खोया है, उसके बाद अब भारतीय राजनीति में बसपा की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्हें विरोधी पार्टियों पर प्रहार करने के बजाय, अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

‘वह नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर उन्होंने कहा कि, एनडीए का पूरा एलायंस इस बिल के समर्थन में है। हमारी पार्टी तो कई अवसरों पर कह चुकी है और सार्वजनिक तौर पर घोषणा भी कर चुकी हैं कि हम इस बिल के समर्थन में है। जहां तक इंडी एलायंस है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मामले में ये ज़रूर बंटा हुआ है।

वहीं असदुद्दीन ओवैसी को लेकर उन्होंने कहा कि, जहां-जहां वे जाते हैं, वहां-वहां दंगे होते हैं। भावनाएं भड़कती हैं। वो अपने बयानों के जरिए समाज में विभाजन रेखा खींचने की कोशिश करते है।

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने आतिशी के बगल में कुर्सी खाली रखने को लेकर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि, “लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं ल‍िया। अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था। आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है। दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं। वह एक कठपुतली सीएम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है। जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा।”

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