नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
एसकेटी/एबीएम
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
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केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
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इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
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यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
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यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
एसकेटी/एबीएम
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि बाजरा आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने की केंद्र की योजना ने स्थानीय उत्पादन और कृषि उपज की खरीद को बढ़ावा दिया है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है।
बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में शुरू में 30 लाभार्थियों को नामांकित किया गया था, हालांकि एक लाभार्थी के हटने के बाद अब 29 लाभार्थी हैं।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बाजरा आधारित उत्पादों की तैयारी में केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित कृषि उत्पादों (एडिटिव्स, फ्लेवर और तेल को छोड़कर) का ही उपयोग किया जाना चाहिए।
सरकार ने बाजरा आधारित उत्पादों के लिए पीएलआई योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं।
इन उपायों में यूजर्स के अनुकूल पोर्टल की स्थापना और समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए समर्पित समूहों का निर्माण शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ने लिखित उत्तर में कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों को आसानी से समझने के लिए समय-समय पर स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।
इसके अलावा, नियमित निगरानी और मूल्यांकन तंत्र स्थापित किए गए हैं, और योजना के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा के लिए समर्पित टीमों के माध्यम से तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने आगे जानकारी दी कि प्रभावी संचार और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए आवेदकों के साथ साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाती हैं।
खाद्य उत्पादों में बाजरा के उपयोग को बढ़ावा देने और वैल्यू एडिशन को प्रोत्साहित करने के लिए, भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-2027 की अवधि के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) शुरू की, जिसका परिव्यय 800 करोड़ रुपये है।
यह योजना निवेश की सीमा की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे यह अधिक आवेदकों के लिए सुलभ हो जाती है।
प्रोत्साहन के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए, योजना के तहत चयनित कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में न्यूनतम ईयर-ऑन-ईयर 10 प्रतिशत की बिक्री वृद्धि हासिल करनी होगी।
यह योजना उपभोक्ता पैक में ब्रांडेड रेडी-टू-ईट और रेडी-टू-कुक उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, जिसमें वजन या मात्रा के हिसाब से 15 प्रतिशत से अधिक बाजरा होता है।
इस योजना की अवधि पांच साल है। पहले प्रदर्शन वर्ष (वित्त वर्ष 2022-2023) के संबंध में दावे वित्त वर्ष 2023-2024 में दाखिल किए जाने थे।
19 आवेदकों ने प्रोत्साहन दावे प्रस्तुत किए और पात्र आवेदकों को अब तक 3.917 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।