बेंगलुरु, 9 मार्च (आईएएनएस)। केंद्र ने गुरुवार को डिजिटल इंडिया एक्ट, 2023 की औपचारिक रूपरेखा पेश की, जहां सरकार इंटरनेट बिचौलियों के लिए सेफ हार्बर प्रावधान को हटाने पर विचार कर रही है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सेफ हार्बर के पीछे तर्क यह था कि इंटरनेट प्लेटफॉर्म के पास कोई अन्य उपभोक्ता द्वारा बनाई गई सामग्री पर कोई शक्ति या नियंत्रण नहीं है।
चंद्रशेखर ने पूछा, लेकिन इस दिन और उम्र में क्या यह वास्तव में जरूरी है? क्या उस सेफ हार्बर की जरूरत है?
सुरक्षित हार्बर प्रावधान इंटरनेट बिचौलियों को प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं द्वारा साझा की गई सामग्री के खिलाफ कानूनी प्रतिरक्षा प्रदान करता है। यह पुराने आईटी अधिनियम, 2000 का हिस्सा था।
डिजिटल इंडिया अधिनियम पर हितधारकों के साथ परामर्श के दौरान मंत्री ने कहा, कानून एक सिद्धांत-आधारित नियम होना चाहिए जो बहुत ही अच्छे सिद्धांतों के साथ एक ढांचा प्रदान करता है जिसका उपयोग भविष्य में नियमों को विकसित करने के लिए किया जा सकता है।
प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य मौजूदा आईटी अधिनियम, 2000 को बदलना और भारत के टेकडे के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करना है।
मंत्री ने कहा कि मौलिक भाषण अधिकारों का किसी भी मंच से उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
नए आईटी नियम, 2021 में पहले के एक संशोधन में कहा गया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ताओं के मुक्त भाषण अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का मसौदा व्यापक डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत पहलों में से एक होगा – अन्य राष्ट्रीय डेटा शासन नीति, साइबर अपराधों से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और डीआईए नियम में संशोधन।
मंत्री ने कहा, भारतीय कानूनों को सोशल मीडिया मध्यस्थों के तेजी से विस्तार को संभालने में सक्षम होना चाहिए।
–आईएएनएस
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