रुद्रप्रयाग, 1 जून (आईएएनएस)। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड़ रहा है। हर कोई चारधाम के दर्शन करना चाहता है। खासकर बुजुर्गों में ये चाहत ज्यादा है। केदारनाथ में इन दिनों लगातार बारिश और बर्फबारी हो रही है। इससे केदारनाथ धाम का तापमान माइनस में चला जा रहा है। आज भी केदारनाथ में अधिकतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस मापा गया। कड़ाके की ठंड के कारण आज एक बुजुर्ग केदारनाथ धाम में बेहोश हो गई थी। उत्तराखंड पुलिस के जवान प्रमोद बुजुर्ग महिला को पीठ पर बिठाकर अस्पताल पहुंचाया।
डॉक्टरों ने चारधाम यात्रा पर आने वाले बीमार और बुजुर्ग लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। डॉक्टर का कहना है कि, चारधाम यात्रा में बीपी, दमा और डायबिटीज के मरीज अपना विशेष ख्याल रखें। क्योंकि हिमालय की ऊंची पहाड़ियों पर जब तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं, तो अचानक उन्हें कम तापमान और कम ऑक्सीजन की मुश्किलें झेलनी पड़ती है। ऐसे में कम ऑक्सीजन की वजह से शरीर पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार चारधाम यात्रा में आने वाले डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों के शरीर का तापमान अचानक बदलता है। इससे दिल की नसें सिकुड़ने लगती हैं और ब्लड सकुर्लेशन में भी दिक्कत आनी शुरू हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में यात्रा में जाने से पहले बीपी और दमा के रोगियों को अपनी जांच करा लेनी चाहिए।
जिला चिकित्सालय कोरोनेशन के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर एनएस बिष्ट के अनुसार वैसे तो इस बार स्वास्थ्य विभाग की ओर से चारधाम यात्रा में हर 1 किलोमीटर में चिकित्सकों की तैनाती की गई है। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में मृत्यु दर में भी कमी आई है। उन्होंने यात्रा में आने वाले तीर्थ यात्रियों को सलाह दी कि पहले अपने बीपी की जांच करा लें। यदि किसी को पहले से ही दमे का रोग है तो अपने साथ इन्हेलर जरूर लेकर चलें। ब्लड प्रेशर की दवा खाकर जाएं।
डॉक्टर बिष्ट के अनुसार दमे के रोगियों को यात्रा में धीरे-धीरे चलना चाहिए। क्योंकि धीमी गति से चलने में हार्ट अटैक की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। उन्होंने कहा कि शुगर के मरीजों को यात्रा में अपने साथ दवा लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा सुरक्षित यात्रा है। लेकिन जो लोग पहले से ही बीमार हैं और ब्लड प्रेशर, दमा और डायबिटीज के रोगी हैं, उन्हें पहले 2 से 3 दिन बेस कैंपों में ठहरने के बाद ही पहाड़ चढ़ना चाहिए।
–आईएएनएस
स्मिता/एएनएम