भोपाल, 2 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड की पहचान सूखा, गरीबी और पलायन वाले इलाके के तौर पर रही है। इसकी बड़ी वजह जल संकट रहा है। मगर, अस्तित्व में आने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना इस इलाके की तस्वीर और तकदीर बदलने की कहानी लिखने वाली है।
केन-बेतवा दो ऐसी नदियां हैं, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरती है। इन नदियों के पानी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो सके, इसी को ध्यान में रखकर ‘नदी जोड़ो योजना’ के तहत केन-बेतवा लिंक परियोजना को अमली-जामा पहनाया जा रहा है।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना लगभग 44,500 करोड़ से ज्यादा की है। इस परियोजना में 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी। जबकि, पांच-पांच प्रतिशत राशि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार को देना है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अभी हाल ही में ऐलान कर चुके हैं कि इस परियोजना का भूमि पूजन इसी माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के नौ जिलों को लाभ होगा। जबकि, उत्तर प्रदेश के पांच जिलों के लोगों को भी लाभ मिलेगा।
इस परियोजना के अस्तित्व में आने पर मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, विदिशा, सागर, शिवपुरी, दतिया और रायसेन की जल संकट संबंधी समस्या का निदान होगा। वहीं, उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को भी लाभ होगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना से सिंचाई क्षेत्र में होने वाली बढ़ोतरी पर गौर करें तो केन बेसिन से उत्तर प्रदेश में 2 लाख 27 हजार हेक्टेयर और मध्य प्रदेश में 4 लाख 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। जबकि, बेतवा बेसिन से मध्य प्रदेश में 2 लाख 6 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होने की संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि इस परियोजना में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केंद्र के अधिकारियों की चर्चा हो चुकी है। संभावना इस बात की जताई जा रही है कि निविदाएं आने के बाद जून माह से निर्माण कार्य की भी शुरुआत हो जाएगी।
–आईएएनएस
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