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Home राष्ट्रीय

केरल के हिंदू नेता ने पोप फ्रांसिस को भेंट किया ऋग्वेद

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December 15, 2024
in राष्ट्रीय
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तिरुवनंतपुरम, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदू ऑफ अमेरिका के केरल राज्य समन्वयक और केरल में आरएसएस से जुड़े हिंदू आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी. श्रीकुमार ने रोम के वेटिकन में पोप फ्रांसिस को ऋग्वेद की एक प्रति भेंट की।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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तिरुवनंतपुरम, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदू ऑफ अमेरिका के केरल राज्य समन्वयक और केरल में आरएसएस से जुड़े हिंदू आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी. श्रीकुमार ने रोम के वेटिकन में पोप फ्रांसिस को ऋग्वेद की एक प्रति भेंट की।

श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

–आईएएनएस

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तिरुवनंतपुरम, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदू ऑफ अमेरिका के केरल राज्य समन्वयक और केरल में आरएसएस से जुड़े हिंदू आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी. श्रीकुमार ने रोम के वेटिकन में पोप फ्रांसिस को ऋग्वेद की एक प्रति भेंट की।

श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

तिरुवनंतपुरम, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदू ऑफ अमेरिका के केरल राज्य समन्वयक और केरल में आरएसएस से जुड़े हिंदू आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी. श्रीकुमार ने रोम के वेटिकन में पोप फ्रांसिस को ऋग्वेद की एक प्रति भेंट की।

श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

–आईएएनएस

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तिरुवनंतपुरम, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदू ऑफ अमेरिका के केरल राज्य समन्वयक और केरल में आरएसएस से जुड़े हिंदू आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी. श्रीकुमार ने रोम के वेटिकन में पोप फ्रांसिस को ऋग्वेद की एक प्रति भेंट की।

श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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तिरुवनंतपुरम, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। हिंदू ऑफ अमेरिका के केरल राज्य समन्वयक और केरल में आरएसएस से जुड़े हिंदू आंदोलन के वरिष्ठ नेता पी. श्रीकुमार ने रोम के वेटिकन में पोप फ्रांसिस को ऋग्वेद की एक प्रति भेंट की।

श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

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2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

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पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

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शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

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केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

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श्रीकुमार ने वेटिकन की अपनी यात्रा के दौरान पवित्र ग्रंथ सौंपा, जहां उन्होंने विश्व धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया था। कार्यक्रम में पोप फ्रांसिस मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

श्रीकुमार ने आईएएनएस को बताया, “यदि आपको याद हो तो केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत माकपा नेता ई.के. नयनार ने 1997 में पोप जॉन पॉल द्वितीय की वेटिकन यात्रा के दौरान उन्हें भगवद् गीता की एक प्रति भेंट की थी। मुझे लगा कि इस बार सबसे उपयुक्त उपहार ऋग्वेद ही होगा।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केरल के प्रसिद्ध हिंदू नेता और संत स्वर्गीय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म के धर्मग्रंथ के रूप में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला था और कहा था कि प्रत्येक हिंदू घर में वेदों की एक प्रति होनी चाहिए।

इस सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तरी अमेरिका के केरल के हिंदुओं ने ऋग्वेद की प्रतियों का वितरण शुरू किया।

2023 में ह्यूस्टन में आयोजित एक सम्मेलन में प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों और अंग्रेजी अनुवादों के साथ पवित्र ग्रंथ भेंट किया गया। श्रीकुमार ने इन संस्करणों की तैयारी में योगदान दिया था।

उन्होंने बताया कि इस उपहार को वेटिकन में पूर्व सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से मंजूरी दी गई थी।

इसे पोप को सौंपते हुए उन्होंने कहा कि ऋग्वेद हिंदू दर्शन के सार का प्रतीक है।

पोप फ्रांसिस ने मुस्कान के साथ उपहार स्वीकार करते हुए पूछा, “क्या यह मेरे लिए है?”

विश्व धार्मिक सम्मेलन का आयोजन श्री नारायण गुरु द्वारा स्थापित शिवगिरी मठ द्वारा किया गया था।

शिवगिरी मठ के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद ने पोप फ्रांसिस को अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और एक सर्वधर्म प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया।

श्रीकुमार ने सम्मेलन के एक यादगार क्षण को साझा करते हुए बताया कि कैसे पोप फ्रांसिस अपने भाषण के बाद मंच से उतरकर बच्चों के बीच बैठ गए और प्रार्थना तथा व्यक्तिगत बातचीत में शामिल हो गए।

उन्होंने कहा, “इस पूरे अनुभव ने वैश्विक समुदाय के भीतर सम्मान, समावेशिता और अंतर-धार्मिक संवाद की शक्ति के साझा मूल्यों को रेखांकित किया।”

केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 51 वर्षीय केरल के पादरी जॉर्ज जैकब कूवाकड को पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल के पद पर पदोन्नत किए जाने के अवसर को देखने के लिए वेटिकन का दौरा किया।

कूवाकाड पहले भारतीय पुजारी हैं, जिन्हें सीधे कार्डिनल पद पर पदोन्नत किया गया है।

2004 में नियुक्त कार्डिनल कूवाकड ने 2006 में अल्जीरिया के अपोस्टोलिक नन्सिएचर में अपना राजनयिक करियर शुरू करने से पहले प्रतिष्ठित पोंटिफिकल एक्लेसियास्टिकल अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

2020 तक वह पोप की वैश्विक यात्राओं के संगठन की देखरेख करते हुए होली सी राज्य के सचिवालय में शामिल हो गए थे।

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी

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