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Home ताज़ा समाचार

कैग रिपोर्ट : 198 सरकारी कंपनियों/निगमों को हुआ 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा

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December 22, 2022
in ताज़ा समाचार
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कैग रिपोर्ट : 198 सरकारी कंपनियों/निगमों को हुआ 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा
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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

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यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

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केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

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केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2021 तक 198 सरकारी कंपनियों और निगमों को 2,00,419 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और इनमें से 88 कंपनियों की कुल संपत्ति घाटे के कारण पूरी तरह खत्म हो गई।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) की केंद्र सरकार (वाणिज्यिक) की सामान्य प्रयोजन वित्तीय रिपोर्ट-2022 की रिपोर्ट संख्या 27 गुरुवार को संसद में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, 31 मार्च, 2021 तक इन कंपनियों का कुल शुद्ध मूल्य 1,13,894 करोड़ रुपये तक नकारात्मक हो गया था। इन 88 कंपनियों में से केवल 20 ने वर्ष 2020-21 के दौरान 973 करोड़ रुपये का लाभ कमाया।

यह रिपोर्ट 453 सरकारी कंपनियों और निगमों (छह वैधानिक निगमों सहित) और 180 सरकार-नियंत्रित अन्य कंपनियों से संबंधित है। कम से कम 84 सीपीएसई (सरकार द्वारा नियंत्रित 23 अन्य कंपनियों सहित) जिनके खाते तीन साल या उससे अधिक समय से बकाया थे या परिसमापन के अधीन थे या पहले खाते देय नहीं थे, इस रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं।

सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा दाखिल रिटर्न पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि 251 सरकारी कंपनियों और निगमों ने 2020-21 के दौरान 1,95,677 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जिसमें से 72 प्रतिशत (1,40,083 करोड़ रुपये) का योगदान 97 सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा किया गया। तीन क्षेत्रों – बिजली, पेट्रोलियम और वित्तीय सेवाएं। इन 251 सीपीएसई में इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) वित्तवर्ष 2019-20 में 224 सीपीएसई में 13.54 प्रतिशत की तुलना में वित्तवर्ष 2020-21 में 16.34 प्रतिशत था।

सरकारी निवेश पर वास्तविक रिटर्न की दर (आरओआरआर) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिपोर्ट में शामिल 633 सीपीएसई में से 195 सीपीएसई में केंद्र सरकार का प्रत्यक्ष निवेश है। 173 सीपीएसई (58 सूचीबद्ध सीपीएसई और 115 गैर-सूचीबद्ध सीपीएसई) के संबंध में आरओआरआर की गणना 2000-01 से ऐतिहासिक लागत पर रिटर्न की पारंपरिक दर के साथ तुलना करने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्तवर्ष 2019-20 में 46.78 प्रतिशत की ऐतिहासिक लागत पर वापसी की पारंपरिक दर की तुलना में आरओआरआर 17.52 प्रतिशत था। आरओआरआर ने 2006-07 तक बढ़ती प्रवृत्ति दिखाई है, जिसके बाद पिछले पांच वर्षो के दौरान इसमें गिरावट शुरू हुई। वित्तवर्ष 2016-17 में 10 प्रतिशत और 2020-21 तक 23 प्रतिशत की गिरावट रही।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 112 सरकारी कंपनियों और निगमों ने वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 80,105 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया। इसमें से केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त/प्राप्ति योग्य लाभांश की राशि 36,982 करोड़ रुपये थी, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों में केंद्र सरकार द्वारा कुल निवेश (5,12,547 करोड़ रुपये) पर 7.22 प्रतिशत रिटर्न का प्रतिनिधित्व करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत 10 सरकारी कंपनियों ने 28,388 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो सभी सरकारी कंपनियों और निगमों द्वारा घोषित कुल लाभांश का 35.44 प्रतिशत है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सीपीएसई द्वारा लाभांश की घोषणा पर भारत सरकार के निर्देश का अनुपालन न करने के कारण वर्ष 2020-21 के लिए तय लाभांश के भुगतान में 9,449 करोड़ रुपये की कमी हुई।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान 173 सीपीएसई को घाटा हुआ। वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को हुआ घाटा 2019-20 के 67,845 करोड़ रुपये की तुलना में घटकर 42,876 करोड़ रुपये रह गया।

–आईएएनएस

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