कोलकाता, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। कोलकाता में वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ पर्यावरणविदों का मानना है कि आने वाले वीकेंड में वायु और ध्वनि प्रदूषण के सबसे खराब स्तर पर पहुंचने की संभवाना है क्योंकि लोग नए साल 2023 का जश्न मनाते हुए स्वागत करेंगे।
शहर में वरिष्ठ नागरिकों के एक ग्रुप ने सबुज मंच नाम के एक संगठन के माध्यम से पहले ही पश्चिम बंगाल की सीएम बनर्जी को एक पत्र भेजकर आग्रह किया है कि वे अधिकारियों को तेज आवाज वाले पटाखों के फोड़ने के खतरे को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दें। पिछले कुछ वर्षों से नए साल की पूर्व संध्या पर तेज आवाज वाले पटाखे फोड़ने का चलन बढ़ गया है।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य प्रशानस ने अदलात द्वारा उत्सव काल के दिनों में तय डेसिबल स्तर को लागू नहीं किया है। जिस कारण वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ पुराने हृदय संबंधी बीमारियों वाले लोगों के लिए जबरदस्त समस्याएं पैदा कर रहा है।
शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर साल भर से लंबी लड़ाई लड़ रहे पर्यावरणविद और ग्रीन टेक्नोलॉजिस्ट सोमेंद्र मोहन घोष ने आईएएनएस को बताया कि पटाखे फोड़ने की समस्या के अलावा बीते कुछ सालों के दौरान कुछ अतिरिक्त दर्द का भी सामना करना पड़ा रहा है, जो न केवल नए साल की पूर्व संध्या के अवसर पर बल्कि क्रिसमस की पूर्व संध्या से साल के अंत तक सीमित है।
उनका कहना है कि साल के इस समय के दौरान डीजे और साउंडबॉक्स का उपयोग करते हुए विभिन्न बहु-मंजिला इमारतों में छत पार्टियां होती हैं। ये पार्टियां देर रात तक और कभी-कभी सुबह तक चलती रहती हैं, जिससे वजह से आस पास के रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है।
वहीं क्रिसमस की पूर्व संध्या से शुरू होने वाले साल के अंत में विभिन्न क्लब और एसोसिएशन ओपन-एयर म्यूजिक कॉन्सर्ट आयोजित करते हैं जो आधी रात तक और कभी-कभी उसके बाद तक भी जारी रहते हैं। उनका कहना है कि रात 10 बजे तक के लिए समय सीमा तय की गई है लेकिन उसका कोई पालन नहीं करता है। घोष ने दावा किया कि पुलिस प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता है। पर्यावरणविदों के लिए चिंता का एक अन्य कारण इस वीकेंड के अंत में अलीपुर जूलॉजिकल गार्डन में भारी भीड़ की उम्मीद है।
घोष ने कहा कि क्रिसमस के मौके पर हमने चिड़ियाघर परिसर के भीतर ध्वनि और वायु प्रदूषण के स्तर में गिरावट के स्तर को देखा, जिससे वहां रहने वाले जानवरों के लिए अत्यधिक असुविधा हो रही है। इसलिए इससे सबक लेते हुए चिड़ियाघर के अधिकारियों को प्रदूषण की दर को जहां तक हो सके नियंत्रण में रखने के लिए उचित उपाय करने चाहिए।
–आईएएनएस
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