तिरुवनंतपुरम, 7 जुलाई (आईएएनएस)। गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की जेल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके कारण उनकी संसद सदस्यता चली गई है। एआईसीसी महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि यह “बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं” था क्योंकि “गुजरात से कुछ अनुकूल प्राप्त कर पाना अब मुश्किल है”।
उन्होंने कहा, “हालात ऐसे हैं कि इन दिनों गुजरात से कुछ भी अनुकूल मिलना मुश्किल है। हममें से कोई भी इस फैसले से आश्चर्यचकित नहीं है।”
वेणुगोपाल ने यहां अपने गृह राज्य में एक सार्वजनिक बैठक में भाग लेते हुए कहा, “हम आगे बढ़ेंगे और उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।”
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “राहुल गांधी को परेशान करना तब शुरू हुआ जब उन्होंने मोदी-अडाणी रिश्ते पर हमला करना शुरू कर दिया। हम कभी नहीं जानते थे कि अडाणी इतने शक्तिशाली हैं। भाजपा सोचती है कि वे राहुल को चुप करा सकते हैं, लेकिन वे यह महसूस करने में असफल रहे कि यह उनके लिए जोरदार वापसी करने का सबसे बड़ा अवसर है जो वह करेंगे।”
अदालत ने फैसला सुनाया कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना एक अपवाद है, नियम नहीं।
मानहानि का मामला, जो 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान से जुड़ा है। राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक चुनावी रैली में कहा था कि “सभी चोरों का एक ही सरनेम मोदी कैसे है।”
इस टिप्पणी की व्याख्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी और ललित मोदी के बीच एक अंतर्निहित संबंध निकालने के प्रयास के रूप में की गई थी।
गांधी के वकील ने 29 अप्रैल को हुई सुनवाई में तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल अपनी लोकसभा सीट “स्थायी और अपरिवर्तनीय रूप से” खो सकते हैं, क्योंकि अपराध में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है। वकील ने आगे तर्क दिया कि इस तरह के नुकसान के परिणामस्वरूप “उस व्यक्ति और जिस निर्वाचन क्षेत्र का वह प्रतिनिधित्व करता है, उसके लिए बहुत गंभीर अतिरिक्त अपरिवर्तनीय परिणाम होंगे।”
इससे पहले इस साल मई में गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग वाली गांधी की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
–आईएएनएस
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