अहमदाबाद, 2 जनवरी (आईएएनएस)। अवैध इमिग्रेशन पर कार्रवाई करते हुए गुजरात में सीआईडी क्राइम ने संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय नागरिकों के अवैध परिवहन से जुड़े बड़े पैमाने पर ऑपरेशन का खुलासा किया है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, सीआईडी अपराध और रेलवे के एक आदेश से पता चला, दुबई से एक फ्लाइट, जो फ्रांस के वैट्री हवाईअड्डे पर ईंधन भरने के लिए रुकी थी, उसमें 260 भारतीय नागरिकों सहित 303 यात्री सवार पाए गए।
इनमें से 96 यात्रियों की पहचान गुजरात के निवासियों के रूप में की गई थी। मुंबई में एफआरआरओ ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के एक ईमेल के माध्यम से पहचाने गए निर्वासित लोगों में 66 गुजराती नागरिक शामिल थे। उनमें से ज्यादातर 8वीं-12वीं कक्षा तक पढ़े हैं। वे मेहसाणा और अहमदाबाद से हैं।
सीआईडी क्राइम की जांच में ऐसे अवैध इमिग्रेशन को सुविधाजनक बनाने वाले एजेंटों के एक नेटवर्क का पता चला। मुख्य रूप से गुजरात से संचालित होने वाले इन एजेंटों ने 8वीं से 12वीं कक्षा तक के शिक्षा स्तर वाले व्यक्तियों को टारगेट किया। इन्होंने उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध प्रवेश का वादा किया।
अहमदाबाद से दुबई और फिर निकारागुआ तक की यात्रा में प्रत्येक व्यक्ति का खर्च 60 लाख रुपये से 80 लाख रुपये के बीच आया। जांच से यह भी पता चला कि एजेंटों को केवल अमेरिकी सीमा पार करने के लिए 1,000 डॉलर से 3,000 डॉलर का भुगतान किया गया था।
जांच में फ्लाइट टिकटों के लिए वित्तीय लेनदेन और उस प्रक्रिया की भी जांच की गई जिसके माध्यम से वीजा हासिल किया गया था। यह पाया गया कि इन व्यक्तियों के पासपोर्ट में आवश्यक टिकटों का अभाव था।
सीआईडी क्राइम ने अहमदाबाद में इमिग्रेशन एफआरआरओ से उन सभी 66 यात्रियों के बारे में डिटेल मांगी है, जिन्होंने 10 दिसंबर से 20 दिसंबर के बीच विभिन्न भारतीय शहरों से दुबई की यात्रा की थी।
यह पूछताछ रैकेट में शामिल एजेंटों, दुबई वीजा हासिल करने की प्रक्रिया और इन कार्यों के पीछे के वित्तीय लेनदेन को उजागर करने तक फैली हुई है। सीआईडी क्राइम ने इनमें से 55 लोगों को उनके घरों पर जाकर बयान लेने के बाद पूछताछ के लिए बुलाया है। इससे इस अवैध आव्रजन रैकेट में शामिल लगभग 15 एजेंटों की पहचान हो गई है।
–आईएएनएस
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