बीजिग, 9 फरवरी (आईएएनएस)। चीन दुनिया का सबसे बड़ा अनाज उत्पादक है। प्रति व्यक्ति अनाज का उत्पादन 480 किलोग्राम से अधिक रहता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा लाइन 400 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है। लेकिन चीन के खाद्य उत्पादन की एक बड़ी कमजोरी है, यानी चीन की सोयाबीन की आत्मनिर्भरता दर बहुत कम है, जिससे चीन की खाद्य सुरक्षा के लिए एक संभावित खतरा है। कई वर्षों से, चीन ने इस समस्या को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए हैं और शुरूआती उपलब्धियां हासिल की हैं।
चीनी कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में चीन में सोयाबीन रोपण क्षेत्र 15 करोड़ 40 लाख म्यू (एक म्यू लगभग 666.67 वर्ग मीटर के बराबर है) तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 2 करोड़ 74 लाख 30 हजार म्यू से अधिक बढ़ गया। यह क्षेत्रफल साल 1958 के बाद सबसे बड़ा है। सोयाबीन का उत्पादन पहली बार 2 करोड़ टन तक पहुंच गया, जो एक नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। सोयाबीन की आत्मनिर्भरता दर भी 3 प्रतिशत बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो गई।
चीनी कृषि मंत्रालय के रोपण प्रबंधन विभाग के निदेशक पान वनशंग ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि चीन सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने और हर साल नई प्रगति करने के लिए निरंतर प्रयास करेगा। साल 2023 में सोयाबीन के कृषि क्षेत्र में 1 करोड़ म्यू से अधिक की वृद्धि की जाएगी और खाद्य वनस्पति तेल की स्व-आपूर्ति दर में 1 प्रतिशत की और वृद्धि की जाएगी।
साल 2022 में चीन के कृषि मंत्रालय ने सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय योजना शुरू की। इसमें एक महत्वपूर्ण विषय फसल चक्र है। इसके अलावा सोयाबीन और मक्का को एक साथ उगाना भी एक अच्छा उपाय है। पिछले साल कृषि मंत्रालय ने सोयाबीन के उच्च उत्पादन के लिए एक देशव्यापी प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इस साल चीनी कृषि मंत्रालय प्रति इकाई क्षेत्र में सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने के अच्छे तरीकों को लोकप्रिय बनाने और नई तकनीक की खोज करने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन करना जारी रखेगा।
बता दें कि सोयाबीन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। दुनिया में प्रोटीन की खपत का 67 प्रतिशत और खाद्य तेल उत्पादन का 57 प्रतिशत सोयाबीन से आता है। पशुपालन में सोयाबीन भी प्रोटीन चराने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। चीन सोयाबीन का मूल स्थल है। लंबे समय तक, चीन दुनिया में सोयाबीन का मुख्य निर्यातक था। लेकिन पिछली सदी के 90 के दशक के मध्य के बाद घरेलू मांग तेजी से बढ़ी और इसके साथ ही चीन विश्व में सोयाबीन का सबसे बड़ा आयातक बन गया।
चीनी कृषि विशेषज्ञ चिंग यूलियांग ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा कि सोयाबीन का खाद्य सुरक्षा से गहरा संबंध है। कोरोना महामारी के बुरे प्रभावों और भू-राजनीतिक संकट को देखते हुए चीन की सोयाबीन की स्व-आपूर्ति दर में तेजी से वृद्धि का सामरिक महत्व बहुत अधिक है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप , पेइचिंग)
–आईएएनएस
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