लुधियाना, 10 जून (आईएएनएस)। लुधियाना से चुनाव हारने के बावजूद भी मोदी सरकार में मंत्री बने रवनीत बिट्टू की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि मैं बेशक चुनाव हार गए, लेकिन पंजाब जीत गया।
उन्होंने कहा, “मैं चुनाव हार गया, लेकिन पंजाब जीत गया। प्रधानमंत्री द्वारा पंजाब को प्राथमिकता देना बड़ी बात है। मैं यही कहूंगा कि अमित शाह और जेपी नड्डा जी ने अपना वादा पूरा किया। उन्होंने पंजाब में प्रचार के दौरान कहा था कि आप लोग बिट्टू को भेजिए, उन्हें बड़ा आदमी बनाना हमारा काम है। लेकिन अफसोस रिजल्ट अच्छा नहीं आया, लेकिन फिर भी उन्होंने पंजाब को देखते हुए मुझे मंत्री बनाया, जिसके लिए मैं उनका आभार प्रकट करता हूं।“
रवनीत बिट्टू से जब यह सवाल किया गया कि क्या आपको लगता है कि बीजेपी आपको मंत्री पद देकर पंजाब में एक बड़े चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है। इस पर उन्होंने कहा, “सबसे पहले आप एक बात समझ लीजिए कि बीजेपी के पास पंजाब या किसी भी सूबे में चेहरों की कमी नहीं है। मैं यही कहूंगा कि पीएम मोदी और अमित शाह के आशीर्वाद के बलबूते कोई भी चेहरा बड़ा बन जाता है। इसलिए यह गलतफहमी ना मुझे है और ना ही किसी को रखनी चाहिए। यह सब कुछ संगठन की व्यवस्था के अंतर्गत होता है। हमने मेहनत की है। तभी हमने 23 विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया है। मैं यही कहूंगा कि आप पंजाब में जमीनी स्तर पर अच्छे से काम करेंगे, तो आपको उसका नतीजा जरूर मिलेगा।“
वहीं, कांग्रेस छोड़ने पर रवनीत बिट्टू से सवाल किया गया। उनसे पूछा गया कि क्या आपको इस तरह की ताकत कांग्रेस में नहीं मिल पा रही थी। इस पर रवनीत बिट्टू ने कहा, “ताकत तो देखिए एक अलग विषय है। कांग्रेस में जो कोई भी नेता उभरकर सामने आता है, उसे कुचल दिया जाता है। कांग्रेस में पिछले 15 सालों में रहते हुए मैंने यह देखा है कि शीर्ष नेतृत्व की चाटुकारिता करने वालों को ही आगे बढ़ने का मौका मिलता है। मुझे आज तक कांग्रेस ने किसी समिति का सदस्य तक नहीं बनाया। मैंने कांग्रेस में रहते हुए तीन बार चुनाव जीता था, लेकिन आज तक मुझे किसी कमेटी का सदस्य तक नहीं बनाया गया।“
रवनीत बिट्टू लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। कांग्रेस में रहते हुए बिट्टू 2009 में आनंदपुर साहिब, 2014 और 2019 में लुधियाना से चुनाव जीते थे। वहीं, इस बार बीजेपी ने उन्हें लुधियाना से ही चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें यहां हार का मुंह देखना पड़ा।
–आईएएनएस
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