नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)। भारत के स्किल्ड युवाओं को जल्द ही स्किल इंडिया पासपोर्ट की सुविधा मिलेगी। स्किल पासपोर्ट में युवाओं अथवा छात्रों के कौशल प्रशिक्षण के प्रमाण-पत्र भी होंगे। यह पहला अवसर है जब रोजगार के लिए विदेश जाने वाले प्रशिक्षित भारतीयों को स्किल इंडिया पासपोर्ट की सुविधा मिलेगी।
गौरतलब है कि डिजिटल इकनोमी में ब्लॉकचेन, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसी नए दौर की टेक्नोलाॅजी के साथ रोजगार की भी कई संभावनाएं सामने आई हैं। आज देश विदेश में डेटा विशेषज्ञों की भी काफी मांग है। हालांकि देश भर के कई विशेषज्ञ इन टेक्नोलॉजी कोर्सों को महानगरों तक ही सीमित मानते हैं।
आईआईएलएम यूनिवर्सिटी की डीन डॉ. मनीषा जोशी का कहना है कि आज भी खास कर टियर-2 और टियर-3 शहरों की एक बड़ी आबादी के लिए टेक्नोलाॅजी व शिक्षा को जोड़ना कठिन है। इसकी कई वजहें हैं जैसे सीमित साधन, लचीलेपन की कमी और आर्थिक बाधा। हालांकि महानगरों में शिक्षित आबादी अपने बच्चों में कौशल विकास को बढ़ावा दे रही है। यहां छात्र शिक्षा में टेक्नोलाॅजी जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, 3 डी क्लासेज के एकीकरण का लाभ ले रहे हैं।
वहीं सरकार का कहना है कि सुदूर क्षेत्रों के छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए छोटे शहरों में भी कौशल विकास केंद्र शुरू किए गए हैं। केंद्र सरकार देशभर में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर भी खोलने जा रही है। इन केंद्रो के माध्यम से स्किल इंडिया पासपोर्ट की सुविधा शुरू की जाएगी। यह सेंटर विदेश में रोजगार के अवसरों का लाभ युवाओं को देने, अवसर के अनुरूप प्रशिक्षण व समन्वय की भूमिका निभाएंगे। इनकी स्थापना के लिए 24 नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और छह स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की पहचान की गई है।
कौशल विकास मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, जर्मनी, आयरलैंड, जापान, जॉर्डन, मलेशिया, मालदीव, मोरक्को और स्वीडन जैसे देशों के साथ प्रशिक्षण, मूल्यांकन और रिक्रूटमेंट के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस समझौता भी किया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर के कई देशों में हॉस्पिटैलिटी और केयर से जुड़े स्किल वर्कफोर्स की मांग लगातार बढ़ी है। भारत सरकार के प्रशिक्षण केंद्रों पर कोरोना काल और उसके बाद भी लाखों छात्रों को इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। हॉस्पिटैलिटी प्रशिक्षण पर इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी के सीओओ कुणाल वासुदेव का कहना हैं, वैश्विक मांग के अनुरूप हमने विशेषज्ञों के सहयोग से कोर्स तैयार किए हैं ताकि न केवल वर्तमान दौर में आगे रहें बल्कि आने वाले कल पर हमारी नजर रहे। हमारे लैब टेक्नोलाॅजी व इनोवेशन के गढ़ हैं, जहां छात्र नए युग की टेक्नोलाॅजी की संभावना देखेंगे, सीखेंगेे और लाभ लेंगे।
वासुदेव के मुताबिक इस उद्योग में हो रहे बदलावों को समझना और छात्रों को उसके अनुरूप तैयार करना अनिवार्य है ताकि भारतीय छात्र भविष्य में भी इस उद्योग की कमान संभालें।
सरकार ने कौशल प्रशिक्षण के लिए स्किल हब भी स्थापित किए हैं यह हब नोडल स्किल सेंटर का काम करते हैं। इनका मकसद कक्षा 6-8 तक के छात्रों को कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण का अवसर देना है। छात्रों को विभिन्न उद्योग केंद्र ले जाया जाता है ताकि उन्हें उद्योगों की मांग और वहां हो रहे बदलावों से अवगत कराया जा सके।
जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. देविन्दर नारंग के मुताबिक कई उद्योगों की टेक्नोलाॅजी में बहुत तेजी से बदलाव आए हैं। ऐसे में युवाओं को उपयुक्त कौशल प्रदान करना और भी महत्वपूर्ण है। केंद्र और राज्य सरकारें व शैक्षणिक संस्थान एपरेंटिसशिप और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर जोर दे रहे हैं ताकि युवाओं को काम-काज की वास्तविक दुनिया का कौशल प्राप्त हो। साथ ही, उद्योगों की जरूरत पूरी हो।
–आईएएनएस
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