जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।
–आईएएनएस
एसजीके
ADVERTISEMENT
जम्मू, 30 जनवरी (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के 13 अलग-अलग जीआई और गैर-जीआई पंजीकृत शिल्पों के क्यूआर-कोड-आधारित लेबल लॉन्च किए।
उपराज्यपाल ने कहा कि क्यूआर-कोड लेबल शिल्प की उत्पत्ति और गुणवत्ता को प्रमाणित करने में मदद करेंगे, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता आश्वासन में सुधार करेंगे और शिल्पकारों, व्यापारियों और निर्यातकों को लाभान्वित करेंगे।
उपराज्यपाल ने कहा, यह जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की अमूल्य कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। क्यूआर-कोड आधारित तंत्र उत्पाद की गुणवत्ता, वास्तविकता सुनिश्चित करने और जम्मू-कश्मीर के हस्तनिर्मित उत्पादों की वैश्विक मांग को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
उपराज्यपाल ने ब्रांड पोजिशनिंग के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, जीआई टैग, क्यूआर कोड-आधारित लेबल, पैकेजिंग आदि, हस्तशिल्प क्षेत्र को अधिक उत्पादक, वित्तीय रूप से आकर्षक बनाएंगे और हस्तशिल्प उद्योग के विकास में योगदान देंगे और कारीगरों की कमाई।
इस अवसर पर उत्पादों की क्यूआर कोड स्कैनिंग का लाइव प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया।