नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार के समस्तीपुर जिले के वैभव सूर्यवंशी ने इतिहास रच दिया है। वह दुनिया की मशहूर क्रिकेट लीग आईपीएल का हिस्सा बनने वाले सबसे युवा खिलाड़ी हैं। ‘यह वर्षों की मेहनत का फल है’, आपको क्या बताएं हमने तमाम मुश्किलें उठाई लेकिन कभी वैभव को कोई कमी महसूस नहीं होने दी। ये शब्द वैभव सूर्यवंशी के पिता संजीव सूर्यवंशी के हैं।
13 साल के इस लड़के के लिए राजस्थान रॉयल्स ने 1.10 करोड़ रुपए खर्च किए। इस बात से आपको ये तो अंदाजा लग गया होगा कि आखिर इसमें कुछ तो बात होगी। वैभव को बचपन से ही क्रिकेट के प्रति लगाव था।
उनका जन्म समस्तीपुर जिले के मोतीपुर में हुआ। पांच साल की उम्र से ही वैभव को उनके पिता संजीव नेट प्रैक्टिस करवाने लगे। यहां तक की बेटे को ज्यादा परेशानी न हो और कोरोना काल में आई चुनौती को कम करने के लिए वैभव के पिता ने घर पर ही नेट लगवाया। इसके बाद वैभव ने समस्तीपुर की क्रिकेट एकेडमी में दाखिला लिया। धीरे-धीरे उम्र के साथ उनका हुनर निखरता गया और ट्रेनिंग बढ़ती गई। वैभव ने पटना के जीसस एकडेमी में मनीष ओझा से भी ट्रेनिंग ली है।
जब से राजस्थान रॉयल्स ने सऊदी अरब में सोमवार को आईपीएल 2025 की नीलामी में वैभव सूर्यवंशी को 1.10 करोड़ में खरीदा है, तब से 13 वर्षीय इस खिलाड़ी ने दुनिया भर के क्रिकेट जगत में काफी चर्चा बटोरी है।
घरेलू सर्किट में दमदार प्रदर्शन करने के अलावा भारत की अंडर-19 टीम में शामिल होने से पहले सूर्यवंशी ने 2023-24 रणजी ट्रॉफी में बिहार के लिए मुंबई के खिलाफ प्रथम श्रेणी में डेब्यू करके इतिहास रच दिया था। उस समय उनकी उम्र 12 साल और 284 दिन थी। इससे पहले बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने वीनू मांकड ट्रॉफी में राज्य के लिए पांच मैचों में लगभग 400 रन बनाए हैं।
आईपीएल 2025 की मेगा नीलामी से ठीक एक दिन पहले, सूर्यवंशी ने शनिवार को राजस्थान के खिलाफ चल रहे सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में बिहार के लिए अपना टी20 डेब्यू किया, जिसमें उन्होंने 6 गेंदों में 13 रन बनाए।
जूनियर सर्किट में प्रभाव छोड़ने के बाद, सूर्यवंशी ने अभी तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कोई बड़ी पारी नहीं खेली है। अगर, आईपीएल डेब्यू की बात करे तो यह राजस्थान रॉयल्स पर निर्भर करेगा कि क्या वो इस खिलाड़ी को डेब्यू का मौका देते हैं, क्योंकि आईपीएल में उम्र को लेकर अभी ऐसी कोई परेशानी नहीं है।
वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने आईएएनएस को बताया, “अपने बेटे को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए उन्होंने कई परेशानी झेली। लेकिन वैभव में जो क्षमता थी और उनकी क्रिकेट के प्रति भूख देखकर उन्हें हमेशा हिम्मत मिलती रही। एक दौर ऐसा भी आया जब उनके परिवार को आर्थिक परेशानी झेलने के कारण अपनी जमीन का कुछ हिस्सा भी बेचना पड़ा। लेकिन वह पीछे नहीं हटे और बच्चे को कमी खलने नहीं दी। उसके जरूरत की चीजों को हमेशा पूरा किया। अब उनकी ख्वाहिश है कि उनका बेटा भारत के लिए खेले। हालांकि, वह अभी अंडर-19 और एशिया कप भी खेल रहा है। लेकिन वह चाहते हैं कि बहुत जल्द वह भारत के मुख्य टीम का हिस्सा बने और देश का प्रतिनिधित्व करें।”
–आईएएनएस
एएमजे/आरआर