नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। जी इंटरटेमेंट इंटरप्राइजेज ने सेबी को लिखा है कि एक ही मामले पर बार बार की जा रही जांच कंपनी और शेयरधारकों के लिए असमंजस की स्थिति पैदा करती है, और संभावित रूप से विलय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
सेबी ने जी मीडिया और सोनी के बीच विलय को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) दिया है। इससे भारत में 1.7 बिलियन अमरीकी डालर (लगभग) के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा।
सेबी को लिखे पत्र में जी ने कहा, कृपया ध्यान दें कि विभिन्न नियामकों (सेबी, स्टॉक एक्सचेंज और सीसीआई आदि सहित) से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद विलय की प्रक्रिया अगले चरण में है और यह योजना 99.9 प्रतिशत शेयरधारकों द्वारा भी अनुमोदित है।
जी मीडिया ने कहा, यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि वर्तमान मामले में लेन-देन वर्ष 2019 से संबंधित है और स्टॉक एक्सचेंजों और सेबी को पहले ही एक विस्तृत विवरण दिया जा चुका है।
कंपनी ने कहा, यह हमारी समझ से परे है कि मौजूदा मामले की फिर से जांच क्यों की जा रही है, जबकि मामले में कार्रवाई 4 साल पहले हो चुकी है।
यह कहा गया है कि हम उधारकर्ता संस्थाओं और यस बैंक के बीच ऋण व्यवस्था या इसमें शामिल ऋण राशि के बारे में कभी भी गोपनीय नहीं थे। यस बैंक, जील (जी इंटरटेमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड) और उधार लेने वाली संस्थाओं के बीच अनुबंध का कोई निजीकरण नहीं था।
कंपनी ने कहा, यह प्रस्तुत किया गया है कि जील खुद यस बैंक द्वारा किए गए गबन का शिकार है। इसलिए, गबन के अनुसार, जील ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाया है कि पैसा वसूल हो और शेयरधारकों को कोई नुकसान न हो, इस प्रकार कार्य करना शेयरधारकों के हित में है।
–आईएएनएस
एसकेपी