गढ़वा, 18 मार्च (आईएएनएस)। देश के दूसरे जिलों की तरह झारखंड में गढ़वा के किसानों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और पीएम कुसुम योजना का लाभ मिलने से किसान अत्याधुनिक तकनीकों के साथ खेती कर रहे हैं और समृद्ध हो रहे हैं।
गढ़वा जिले के वीर बंधा गांव के किसान केंद्र सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। किसान योजनाओं का लाभ प्राप्त कर अब पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं और अपना भविष्य संवारने में जुटे हैं।
किसानों का कहना है कि पीएम किसान कुसुम योजना के तहत बिजली मिलने से जहां सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो रहा है, वहीं पीएम किसान सम्मान निधि के तहत समय पर धनराशि मिलने से वे खेती कर पा रहे हैं। चाहे वह स्ट्रॉबेरी की खेती हो, गेंदा फूल की या फिर सब्जियों की खेती, इन योजनाओं के सहयोग से आधुनिक खेती करने में किसानों को काफी मदद मिल रही है। साथ ही, विभाग भी किसानों को योजनाओं का लाभ प्रदान कर उन्हें समृद्ध बनाने के लिए पूरे प्रयास कर रहा है।
लाभार्थी प्रीतम मेहता ने आईएएनएस से कहा कि पहले लाइट की बहुत दिक्कत थी। पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पैनल लग गए हैं। पांच साल की इसकी गारंटी है, लेकिन मुझे लगता नहीं कि यह खराब हो सकता है। अब बिजली की कोई समस्या नहीं है। पहले बिजली बिल भरने में जो पैसा जाता था, वह अब फायदे में आएगा। हम पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती करने की भी कोशिश कर रहे हैं। पहले हमें पता भी नहीं था कि कृषि विभाग भी होता है।
लाभार्थी महेश ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिल रहा है। केंद्र सरकार से एक साल में दो-दो हजार रुपये करके कुल छह हजार रुपये मिलते हैं। बीज लेने के समय ही रुपये आ जाते हैं। इस समय हम नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करके खेती कर रहे हैं। हम मल्चिंग और ड्रिप से खेती कर रहे हैं। ड्रिप के इस्तेमाल से पानी कम लगता है।
जिला कृषि तकनीक पदाधिकारी अजय कुमार साहू ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। वीर बंधा गांव के किसानों को केंद्र सरकार के द्वारा पीडीएमसी योजना के तहत ड्रिप की सुविधा दी गई है। पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को सोलर पंप की सुविधा दी गई है, जिससे किसान कम लागत में सिंचाई कर रहे हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को खातों में एक साल में छह हजार रुपये आते हैं। ये रुपये ऐसे समय में आते हैं जब किसानों को खाद, बीज की जरूरत होती है। किसानों की लागत भी कम लगती है और उत्पादन भी सही हो जाता है। देखा जाए तो गढ़वा के किसान आधुनिक खेती कर समृद्ध बन रहे हैं।
–आईएएनएस
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