रांची, 2 सितंबर (आईएएनएस)। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखंड में कांस्टेबल बहाली की दौड़ में शामिल 15 युवाओं की मौत को अत्यंत भयावह बताते हुए इसके लिए राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने कहा कि फिजिकल टेस्ट के नाम पर भीषण गर्मी में युवाओं को दौड़ने के लिए मजबूर करने की वजह से ये घटनाएं सामने आई हैं। झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यालय में सोमवार शाम आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हिमंता बिस्वा सरमा ने मृत युवकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपनी ओर से सभी मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि देगी। पार्टी के नेता सभी शोक संतप्त परिवारों के पास जाएंगे। अगर राज्य की सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो तीन महीने बाद जब राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी तो हम उन्हें न्याय दिलाएंगे।
उन्होंने कहा कि देश में सेना, अर्धसैनिक बलों और विभिन्न राज्यों में कांस्टेबल के लाखों पदों पर बहालियां होती हैं, लेकिन झारखंड को छोड़कर पूरे देश में कभी इतनी संख्या में युवकों की मौत की घटना नहीं हुई है। भीषण गर्मी में युवाओं को दौड़ने के लिए मजबूर किया जाना, इन मौतों की एकमात्र वजह है। जब से वह असम के सीएम हैं, उनके राज्य में छह से आठ हजार कांस्टेबलों की नियुक्ति हुई, लेकिन, ऐसी घटना नहीं हुई। झारखंड के उत्पाद विभाग में 583 कांस्टेबलों की बहाली के लिए विज्ञापन करीब एक साल पहले 1 जून 2023 में निकला था। इसके तहत 10 जुलाई 2023 तक आवेदन लिए गए और इसके बाद उसी साल अगस्त में एडमिट कार्ड जारी किए गए। सरकार की मंशा ठीक होती तो फिजिकल टेस्ट की प्रक्रिया इसके बाद अक्टूबर से लेकर फरवरी तक पूरी कराई जा सकती थी। उस समय मौसम अनुकूल होता है। लेकिन, अब एक साल बाद गर्मी के महीने में दौड़ कराई जा रही है, जिससे गरीब परिवारों के युवाओं की जान जा रही है।
उन्होंने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मौसम अनुकूल होने तक कांस्टेबल बहाली की प्रक्रिया को कम से कम 15 दिनों के लिए स्थगित करने की मांग की। सरमा ने कहा कि गर्मी में दौड़ कराए जाने की वजह से जिन युवकों की मौत हुई है, उनमें पिंटू कुमार रजक, महेश महतो, अमरेश कुमार, सर्वज्ञ यादव, अजय कुमार महतो, प्रदीप कुमार, अभिषेक कुमार, सुनील कुमार, सूरज कुमार वर्मा, प्रदीप कुमार साव, सुमित यादव, विकास लिंडा, दीपक पासवान और अरुण कुमार शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि अगर यह बहाली जारी रखी गई तो मरने वाले युवाओं की संख्या 50 तक पहुंच सकती है। कांस्टेबल बहाली के दौरान अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि दौड़ के पहले और बाद में युवाओं को कम से कम एक गिलास दूध और एक फल दिया जाना चाहिए। इस मामले में भाजपा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास अर्जी दाखिल कर इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग करेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी भी मौजूद रहे।
–आईएएनएस
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