नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। हर साल 18 अगस्त को इंटरनेशनल डिलीवरी एप्रिसिएशन डे मनाया जाता है। यह खास दिन उन लोगों को धन्यवाद देने का अवसर है जो तपती गर्मी, बारिश और कड़ाके की ठंड में भी ड्राइव करके हम तक पहुंचते हैं। अगर आप ये सोच रहे हैं कि डिलीवरी ड्राइवर्स की कहानी आज की है तो ठहरिए! ऐसा नहीं है। 18/8 को चुनने के पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है।
ईमेल के जमाने में गुजरे जमाने की बात हो गए हैं डाकिए! पुरानी फिल्मों या यूट्यूब पर दिख जाएंगे खतों का झोला लादे दो पहिया वाहन यानि साइकिल पर बढ़े चले जा रहे डाकिए। इनका इंतजार बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को रहता था। इस तरह ये भी तो खत डिलीवर करने वाले डिलीवरी ड्राइवर्स हुए! कहा जा सकता है कि अवधारणा नई नहीं है, बस तकनीक के कारण थोड़ा सा बदलाव हो गया है। इतिहास के झरोखे में झांके तो पाएंगे 1800 के दशक के मध्य में दो साइकिलों के आविष्कार के तुरंत बाद ये संदेशवाहक दिखाई देने लगे थे।
अब इस अवधारणा का विकास हुआ है। आज के डिलीवरी राइडर्स के पास विशेष, इंसुलेटेड पैक होते हैं जिन्हें वे अपनी पीठ पर रख सकते हैं ताकि वे डिलीवरी के लिए एक बार में कई ऑर्डर्स पूरे कर सकें।
तो दशकों से अपने ग्राहकों की बात सुबह शाम हर वक्त मानने वाले इन डिलीवरी ड्राइवर्स के लिए बड़ा आयोजन 2023 में हुआ। इसे लंदन स्थित एक खाद्य वितरण कंपनी ‘हंग्री पांडा’ कंपनी के प्रयासों के माध्यम से आयोजित किया गया था। जहां सोचा गया कि बदलती दुनिया की जरूरतों को जिन्होंने आसान बनाया है चुटकियों में हमारी ख्वाहिश को पूरा किया है क्यों न उन्हें बड़ा सा थैंक्यू कहा जाए।
बस इसी नेक नीयत ने इस अभूतपूर्व डे की शुरुआत की। अब सवाल उठता है कि 18 अगस्त ही क्यों? तो इसके पीछे का तर्क भी बड़ा रोचक है। इस दिन यह आयोजन इसलिए किया जाता है क्योंकि अंक “818” एक साइकिल सवार की छवि जैसा दिखता है जिसके ऊपर एक बैग रखा हुआ है। साथ ही, अंक “8” का उच्चारण अंग्रेजी के ‘ईट’ यानि खाना खाने जैसा साउंड करता है। बस यही सोच कर 18/8 पर मुहर लगा दी गई।
–आईएएनएस
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